प्रयागराज, संवाददाता : जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी,मेरठ ने उच्च प्राथमिक विद्यालय कृष्णापुरी नगर क्षेत्र मेरठ में कार्यरत शिक्षामित्र निमिषा तिवारी से 17 साल बाद रिकवरी कराए जाने के आदेश पर हाईकोर्ट ने अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी है। याची निमिषा तिवारी की ओर से अधिवक्ता सुनील चौधरी ने माननीय न्यायमूर्ति प्रकाश पाड़िया के समक्ष बहस कर अवगत कराया की 17 साल के बाद याची के ऊपर विद्यालय के हेड मास्टर मधुसूदन कौशिक की शिकायत पर राजनीतिक दबाव के कारण जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने याची को बिना विभाग से अनुमति के संस्थागत स्नातक कर मानदेय प्राप्त करने के आरोप पर आदेश पारित किया था।
फर्जी मीटिंग कर याची की सेवा समाप्ति का आदेश किया था पारित
याची के अधिवक्ता ने बताया कि याची ने वार्ड शिक्षा समिति से परमिशन लेकर स्नातक किया था। मधुसूदन कौशिक विद्यालय प्रबंध समिति के सचिव होने के कारण फर्जी मीटिंग कर याची को सेवा समाप्ति का आदेश पारित किया था जिस पर पूर्व में ही माननीय न्यायालय ने आदेश पर रोक लगा रखी है, और वर्तमान समय में याची को परेशान दूसरे वार्ड में खंड शिक्षा अधिकारी ने ट्रांसफर कर दिया है जबकि नियमानुसार बिना शिक्षामित्र की सहमति के अन्य वार्ड में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता।
याची के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट केस थॉमस डेनियल बनाम स्टेट ऑफ़ केरला व अन्य का हवाला देते हुए कहा यांची से 17 साल के बाद रिकवरी नहीं कराई जा सकती है। सेवा समाप्ति के आदेश पर रोक लगाई जाने के दौरान ही याची के विरुद्ध 17 साल के बाद रिकवरी का आदेश विपक्षी मधुसूदन कौशिक के दबाव के कारण जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने आदेश पारित किया है।
मधुसूदन कौशिक भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय पूर्व विधायक प्रत्याशी के भाई होने के कारण विभाग इनके ऊपर कोई भी कार्रवाई आज तक नहीं की गई है जबकि मेरठ जिला कोर्ट के द्वारा कुंदन अभिभावक के द्वारा केस फ़ाइल किये जाने पर मधुसूदन कौशिक को उसके बेटे के साथ लात जूतों से मारपीट, गाली गलौज करने पर तलब किया जा चुका है, जिस पर न्यायालय ने बेसिक एजुकेशन उत्तर प्रदेश सरकार सचिव व मधुसूदन कौशिक, हेड मास्टर से 4 सप्ताह में जवाब तलब करते हुए अग्रिम आदेशों तक रिकवरी के आदेश पर रोक लगा दी है।