Indian Army Chief करेंगे श्रीलंका की यात्रा, रिश्तों को मिलेगी और मजबूती

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नई दिल्ली, न्यूज़ डेस्क : Indian Army Chief’s visit to Sri Lanka : भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी श्रीलंका की आधिकारिक यात्रा करेंगे। सेना प्रमुख की यह यात्रा रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इस यात्रा से पड़ोसी देश श्रीलंका से भारत के रिश्तों को और मजबूती मिलेगी।

भारतीय सेना के मुताबिक, सेना प्रमुख दो दिवसीय 1-2 दिसंबर को श्रीलंका के आधिकारिक दौरे पर रहेंगे। यह यात्रा भारत-श्रीलंका रक्षा संबंधों के निरंतर सुदृढ़ होते मार्ग में एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव मानी जा रही है। हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय सैन्य संवाद, संयुक्त अभ्यास और प्रशिक्षण सहयोग में निरंतर वृद्धि ने आपसी विश्वास और संचालन-स्तर की समझ को नए आयाम दिए हैं।

बता दें कि इससे पहले वर्ष 2021 में तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने श्रीलंका दौरा किया था, जिसमें उन्होंने श्रीलंकाई शीर्ष नेतृत्व के साथ व्यापक वार्ताएं की थीं और संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘मित्र शक्ति’ का निरीक्षण किया था। वह यात्रा द्विपक्षीय सहयोग की मजबूत नींव रखने में महत्वपूर्ण रही थी। इसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए सितंबर 2025 में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने श्रीलंका यात्रा की थी। उनकी इस यात्रा ने समुद्री सुरक्षा और समुद्री सहयोग को नई ऊर्जा दी। इसके समानांतर श्रीलंका की ओर से भी उच्चस्तरीय सैन्य नेतृत्व भारत आता रहा है।

जून 2025 में श्रीलंका सेना प्रमुख ने भारत का दौरा किया था

जून 2025 में श्रीलंका सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बीकेजीएम लसनथा रॉड्रिगो ने भारत का दौरा किया था। अपनी इस यात्रा के दौरान उन्होंने भारतीय सैन्य अकादमी के पासिंग आउट परेड की समीक्षा की, जबकि 2023 में लेफ्टिनेंट जनरल विकुम लियानगे की यात्रा ने दोनों सेनाओं के बीच निरंतर पेशेवर जुड़ाव को और मजबूती दी थी। अब सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी की श्रीलंका यात्रा भारत की पड़ोसी प्रथम की नीति को रेखांकित करती है। इस भारतीय नीति का उद्देश्य पड़ोसी देशों के साथ विश्वास, स्थिरता और सुरक्षा सहयोग को प्राथमिकता देना है। इस दौरान क्षमता निर्माण, संयुक्त प्रशिक्षण, व्यावसायिक आदान-प्रदान, संयुक्त अभ्यासों और संचालन-स्तर की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाओं पर विस्तृत चर्चा होने की संभावना है।

भारतीय आर्मी चीफ की श्रीलंका के राजनीतिक एवं सैन्य नेतृत्व के साथ बातचीत से हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में उभरती सुरक्षा चुनौतियों पर साझा दृष्टिकोण विकसित करने में भी मदद मिलेगी। भारत और श्रीलंका के बीच रणनीतिक सामंजस्य केवल रक्षा क्षेत्र तक सीमित नहीं है। यह दोनों देशों की साझा सांस्कृतिक, सभ्यतागत और ऐतिहासिक विरासत पर आधारित है। दोनों देश रणनीतिक स्वायत्तता, आतंकवाद के खिलाफ कड़े रुख और क्षेत्रीय स्थिरता के प्रति समान प्रतिबद्धता साझा करते हैं। बहुपक्षीय मंचों पर भी यह साझेदारी स्पष्ट दिखाई देती है।

आगामी यात्रा भारत-श्रीलंका रक्षा संबंधों की मजबूती का प्रमाण

श्रीलंका, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की आकांक्षा का समर्थन करता है, वहीं भारत, श्रीलंका की ब्रिक्स जैसे मंचों में व्यापक भूमिका के प्रयासों का समर्थन करता है। यह दोनों देशों की निष्पक्ष, स्थिर और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह यात्रा वर्ष 2025 के उच्चस्तरीय सैन्य संवादों की श्रृंखला को पूर्ण करती है और दोनों देशों के बीच निरंतरता, विश्वास और सहयोग का स्पष्ट संदेश देती है।

श्रीलंका में स्मारकों पर श्रद्धांजलि, सैन्य-स्तर की चर्चाएं और भविष्य की साझेदारी पर विचार-विमर्श—ये सभी कदम इस यात्रा को प्रतीकात्मक और रणनीतिक दोनों रूपों में महत्त्वपूर्ण बनाते हैं। जनरल उपेंद्र द्विवेदी की यह आगामी यात्रा भारत-श्रीलंका रक्षा संबंधों की मजबूती का प्रमाण है। साथ ही, यह यात्रा दर्शाती है कि भारत श्रीलंका को एक घनिष्ठ पड़ोसी, विश्वसनीय साझेदार और सुदृढ़ मित्र के रूप में देखता है। यह यात्रा क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और समृद्धि के साझा लक्ष्य की दिशा में एक निर्णायक कदम भी है।

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