जालंधर, संवाददाता : राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत भारत की शिक्षा व्यवस्था लगातार बदल रही है, और इसी के साथ शिक्षकों के निरंतर प्रशिक्षण की जरूरत भी पहले से कहीं ज़्यादा महसूस की जा रही है। पंजाब में इस समय सरकारी स्कूलों में करीब 6,423 शिक्षकों के पद खाली हैं और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में 44% प्रिंसिपल पद भी रिक्त हैं। ऐसे में शिक्षकों को नई स्किल्स और आधुनिक शिक्षा पद्धतियों से जोड़ना बेहद ज़रूरी हो गया है।
इसी दिशा में आदित्य बिरला एजुकेशन अकादमी (एबीईए) ने अपने इनसेट (इन-सर्विस एजुकेशन एंड ट्रेनिंग) प्रोग्राम का नया बैच शुरू करने की घोषणा की है। यह पहल शिक्षकों को ऐसे टूल्स, तकनीक और सोच से सशक्त बनाएगी, जिससे वे एनईपी 2020 की सोच को कक्षा में उतार सकें।
पंजाब में लगभग 59 लाख छात्र 27,000 से अधिक स्कूलों में पढ़ते हैं
पंजाब में लगभग 59 लाख छात्र 27,000 से अधिक स्कूलों में पढ़ते हैं, लेकिन कई शिक्षक अब भी 21वीं सदी की शिक्षण पद्धति के साथ तालमेल बिठाने में संघर्ष कर रहे हैं। हालिया शिक्षा सर्वेक्षणों से पता चलता है कि राज्य के लगभग 88% शिक्षक डिजिटल और कौशल-आधारित शिक्षा की ज़रूरत को समझते हैं, लेकिन इसे प्रभावी रूप से लागू करने के लिए उन्हें बेहतर प्रशिक्षण और सहयोग की आवश्यकता है।
जालंधर, जो पंजाब का एक प्रमुख शिक्षा केंद्र है, वहाँ हर तीन में से एक शिक्षक ने स्वीकार किया है कि उन्हें तकनीक और एआई टूल्स को कक्षा शिक्षण में शामिल करने में कठिनाई होती है। नेतृत्व की कमी ने स्थिति को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है ,राज्य के 44% सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में स्थायी प्रिंसिपल नहीं हैं, जिससे स्कूल स्तर पर प्रशासन, मार्गदर्शन और नवाचार प्रभावित हो रहे हैं।
एबीईए (आदित्य बिरला एजुकेशन एकेडमी) के प्रोग्राम डायरेक्टर प्रदीप्ता होरे ने कहा , “शिक्षक ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सफलता की आत्मा हैं। लेकिन उचित प्रशिक्षण और समर्थन के बिना, बेहतरीन नीतियाँ भी प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पातीं। इनसेट प्रोग्राम का उद्देश्य शिक्षकों को वह दृष्टिकोण और व्यवहारिक रणनीतियाँ देना है, जो उन्हें बदलते शैक्षणिक माहौल में उत्कृष्टता हासिल करने में मदद करें।”

 
							 
			 
			 
			