देहरादून ,संवाददाता : आपदा से उत्तरकाशी के धराली और हर्षिल के आरक्षित वन क्षेत्र में करीब 100 से 120 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंचा है। वन विभाग अब नदियों, गदेरों में बहकर आए वृक्षों और जंगल में बारिश से गिरे वृक्षों की गिनती का काम शुरू करेगा।
प्रदेश में हर साल वनाग्नि मुसीबत बनती है। आग वनों और वन संपदा को अत्य धिक नुकसान पहुंचाती है। इस साल गर्मियों में वनाग्नि से कुछ राहत मिली थी। लेकिन मानसून में हुई बारिश से उफनाए नदी-गदेरों ने जंगलों को काफी नुकसान पहुंचाया है। नदियां भू-कटाव कर जंगलों के कई हिस्से को बहा ले गईं। इसमें पैदल मार्ग, अश्व मार्ग और वन मोटर मार्ग सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।
वहीं प्लांटेशन के तहत लगाए गए पौधों को भी नुकसान पहुंचा है। साथ ही कई पेड़ उखड़ कर गिर गए। वहीं आपदा से उत्तरकाशी के धराली और हर्षिल के आरक्षित वन क्षेत्र में करीब 100 से 120 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंचा है। वन विभाग अब नदियों, गदेरों में बहकर आए वृक्षों और जंगल में बारिश से गिरे वृक्षों की गिनती का काम शुरू करेगा।
जंगल की आग का सीजन शुरू होने के साथ ही वन विभाग की आंख आसमान पर टिक जाती है, कब बारिश होगी और जंगल की आग से राहत मिलेगी। तमाम कोशिशों के बाद भी जंगल की आग बादलों के पहुंचने के बाद ही पूरी तरह शांत हो पाती है। मानसून आने के बाद ही वन विभाग का फायर सीजन समाप्त होता है। लेकिन प्रदेश में इस बार बारिश का क्रम लगातार चलता रहा है जिस कारण जंगल की आग तुलनात्मक तौर पर कम रही। जुलाई से लेकर सितंबर में जमकर बारिश हुई, जिससे कई जगह पर आपदा आई। इससे वन क्षेत्र में भी नुकसान पहुंचा है।
वन मोटर मार्ग से लेकर वन चौकी तक नुकसान
बारिश से वन मोटर मार्ग, अश्व व पैदल वन मार्ग और वन चौकी, वन कर्मियों के लिए बने रेंज कार्यालय परिसर, चौकी, आवासों को भी क्षति हुई है। चैक डैम, अमृत सरोवर, सिंचाई के लिए बिछाए गए पाइप लाइन आदि को नुकसान हुआ है।
कई जगह प्लांटेशन के काम पर पानी फिरा
तराई केंद्रीय वन प्रभाग के रुद्रपुर रेंज में पौधरोपण हुआ पर इस क्षेत्र में जलभराव होने से प्लांटेशन को नुकसान पहुंचा है। इसी तरह चंपावत वन प्रभाग के बूम रेंज में रुद्राक्ष के पौधों को लगाया गया था वे बर्बाद हो गए। तराई पश्चिम वन प्रभाग के बन्नाखेड़ा रेंज में चूनाखान नाले से वन क्षेत्र में भारी कटाव हुआ है।
जौलासाल रेंज में कालेरिया नदी का जलस्तर बढ़ने से जंगल में क्षति हुई। गड़प्पू में बौर नदी ने काफी भू-कटाव किया है, जिससे जैव विविधता को नुकसान पहुंचा है। डीएफओ हरिद्वार स्वप्निल अनिरुद्ध कहते हैं कि भू-कटाव से श्यामपुर, चिड़ियापुर रेंज में जंगल को नुकसान हुआ है। इसके अलावा वन मोटर मार्ग को क्षति हुई है।