नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क : Justice Surya Kant : देश को आज (24 नवंबर) नए चीफ जस्टिस मिलने जा रहे हैं। जस्टिस सूर्यकांत भारत के 53वें CJI के तौर पर शपथ लेने को तैयार हैं। वो जस्टिस बीआर गवई की जगह लेंगे। जस्टिस सूर्यकांत अनुच्छेद 370 से जुड़े, बिहार में SIR और पेगासस स्पाइवेयर मामला समेत कई अहम फैसलों का हिस्सा रह चुके हैं।
22 नवंबर को जस्टिस बीआर गवई रिटायर हुए हैं। उनके बाद अब जस्टिस सूर्यकांत CJI का पद संभालेंगे। बतौर सीजेआई उनका कार्यकाल करीब 15 महीने का होगा और वो 9 फरवरी 2027 को सेवानिवृत्त होंगे।
हिसार में 10 फरवरी, 1962 को जस्टिस सूर्यकांत का जन्म हुआ
हरियाणा के हिसार में 10 फरवरी, 1962 को जस्टिस सूर्यकांत का जन्म हुआ है। इस समय वो सुप्रीम कोर्ट में CJI गवई के बाद सबसे सीनियर जज हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने साल 1981 में हिसार के गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है। साल 1984 में उन्होंने रोहतक की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने हिसार की जिला अदालत में प्रैक्टिस शुरू कर दी थी। एक साल बाद वे पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे।
साल 2004 में जस्टिस सूर्यकांत को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। वो 5 अक्टूबर 2018 को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। वहीं, 24 मई 2019 को जस्टिस सूर्यकांत को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया था।
इन बड़े फैसलों का रहे हैं हिस्सा-
- जस्टिस सूर्यकांत उस बेंच का हिस्सा थे जिसने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के ऐतिहासिक फैसले को बरकरार रखा, जिससे जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा छीन गया था।
- वो पीठ में भी शामिल थे, जिसने औपनिवेशिक काल के राजद्रोह कानून को प्रभावी रूप से निलंबित किया था। इस दौरान राज्यों और केंद्र को यह भी निर्देश दिया था कि जब तक सरकार प्रावधान पर पुनर्विचार पूरा नहीं कर लेती, तब तक धारा 124ए के तहत नई FIR दर्ज न करें।
- जस्टिस कांत ने बिहार में चुनावी रोल के मसौदे से हटाए गए 65 लाख मतदाताओं को बाहर करने के चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर भी सुनवाई की और आयोग को इन मतदाताओं के विवरण को उजागर करने के लिए प्रेरित किया।
- उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2022 की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा चूक की जांच मामले में न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में एक पैनल नियुक्त किया था।
- जस्टिस कांत ने एक रैंक-एक पेंशन (OROP) को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया था। वहीं, स्थायी कमीशन में समानता की मांग करने वाली महिला अधिकारियों की याचिकाओं की सुनवाई जारी रखी।
