कानपुर,संवाददाता : हरिद्वार और नरौरा डैम से लगातार पानी छोड़े जाने से गंगा खतरे के बिंदु को पार कर चुकी है। गंगा किनारे बसे 11 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। बुधवार को 15 परिवारों को गांवों से बाढ़ राहत शिविर में शिफ्ट किया गया। वहीं, जिलाधिकारी विशाख जी ने गांवों का निरीक्षण किया।
उन्होंने कहा कि लोगों के घरों तक राशन और दवा की होम डिलीवरी की जाए। गंगा नदी पिछले एक सप्ताह से उफान पर है। गंगा बैराज पर हर दिन हरिद्वार और नरौरा से करीब तीन लाख क्यूसेक पानी पहुंच रहा। बुधवार को गंगा खतरे के निशान से 50 सेमी. ऊपर बह रही थी।
तेज बहाव से कटान शुरू हो गया है। अभी तक चार गांव ही प्रभावित थे, लेकिन मंगलवार रात जलस्तर बढ़ने से सात गांवों में पानी घुस गया। फसल के अलावा घरों तक पानी पहुंच गया है। चैनपुरवा, भोपाल का पुरवा और भगवान दीनपुरवा में हालात खराब हैं।
पीड़ित परिवारों का किया गया स्वास्थ्य परीक्षण
यहां के परिवारों को कांशीराम स्थित प्राथमिक विद्यालय में शिफ्ट कराया जा रहा है। जिलाधिकारी ने राहत शिविर के निरीक्षण के दौरान पीड़ित परिवारों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया। मेडिकल हेल्थ किट भी उपलब्ध कराई। परिवारों को खाना, पानी समेत अन्य आवश्यक सामग्री भी वितरित की गई।
गांवों में घुसा पानी
अपस्ट्रीम में भोपाल का पुरवा, बनियापुरवा, भगवानदीनपुरवा, धल्लापुरवा, गिन्नीपुरवा, लक्ष्मणपुरवा और भरतपुरवा में पानी घुस चुका हैं। डाउनस्ट्रीम में पानी चैनपुरवा, धरमखेड़ा, दिगिनापुरवा और पहाड़ीपुर में पानी पहुंच चुका है।
गांवों का संपर्क कटा
लगातार जलस्तर बढ़ने से गांवों का संपर्क सड़क मार्ग से टूट गया है। जिलाधिकारी ने तहसीलदार सदर अभिनव गोपाल को आवागमन के लिए ट्रैक्टर और नाव का प्रबंध करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि जलस्तर की 24 घंटे निगरानी की जाए।
बैराज में पानी का प्रेशर कम करने के लिए सारे गेट खोल दिए गए है। बुधवार को बैराज से शुक्लागंज की ओर चार लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा गया। इस वजह से शुक्लागंज में गंगा खतरे के निशान को पार कर गई है। शुक्लागंज में गंगा का जलस्तर 113.13 मीटर रहा।