वाराणसी, संवाददाता : अखिल भारतीय संत समिति ने देश भर के हिंदू दिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग की है। पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस मामले में पहल करने का निवेदन किया है। इसके साथ – साथ यह सवाल उठाया कि संवैधानिक रूप से धर्म की स्वतंत्रता अगर मूल अधिकार है तो मठ-मंदिरों पर सरकार नियंत्रण कैसे स्थापित कर सकती है?
स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती ने पीएम को लिखा पत्र
अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती ने पीएम को लिखे पत्र में कहा है कि 2024 में उच्चतम न्यायालय द्वारा तमिलनाडु के एक मंदिर के प्रबंधन को लेकर दायर एक याचिका में यह निर्णय दिया है कि मंदिरों का प्रबंधन सरकार का कार्य नहीं है, मंदिरों का प्रबंधन, जो समर्पित हिंदू समाज है वही करेगा।
मंदिर-मंस्जिद-चर्च-गुरुद्वारा प्रबंधन किसी सेक्युलर सरकार का नहीं है। यह उस आस्थावान समाज का कार्य है जो अपने-अपने पूजा स्थलों के प्रति श्रद्धा रखता है और दान स्वरूप धन खर्च करता है। वही समाज अपने पूजा स्थलों का संरक्षण एवं प्रबंधन करेगा।
हिंदू मंदिरों का प्रबंधन के लिए प्रबंध तंत्र बनाने की आवश्यकता
सनातन हिंदू समाज 128 संप्रदायों के अंदर सम्मिलित रूप से कार्य करता है। पूजा पद्धतियां भिन्न हो सकती हैं परंतु वेद सभी के मूल में हैं। इन सभी से संवाद कर हिंदू मंदिरों के प्रबंधन व्यवस्था को सुदृढ़ किए जाने की आवश्यकता है।
भारतीय संविधान के दायरे में हिंदू समाज के धर्म स्वतंत्रता के मूल अधिकार की रक्षा करते हुए विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा अधिगृहित किए गए हिंदू मंदिरों का प्रबंधन सनातन हिंदू धर्म के वरिष्ठ संत, संगठन एवं श्रीकाशी विद्वत परिषद् के आचार्यों से संवाद कर नीतिगत रूप से समाज के धर्मानुरागी जनों को समाहित करते हुए एक वृहद प्रबंधन तंत्र बनाने की आवश्यकता है।