औरैया, संवाददाता :Kusuma Nain Death News : लोगों का कहना है कि जिस पति को कुसुमा ने 47 वर्ष पहले छोड़ा था। बाद में वही काम आया और उसने कुसुमा को मुखाग्नि दी। वहीं, कहा जा रहा है कि बीहड़ में राज करने वाली दस्यु कुसुमा को अपनी मां से बहुत प्रेम था। मां के लिए अपशब्द बोलने पर कुसुमा ने डकैत लालाराम का साथ भी छोड़ दिया था।
जिस पति को छोड़कर डकैत कुसुमा नाइन 47 साल पहले बागी हो गई थी। अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो जाने पर जब उसका शव ससुराल पहुंचा तो सोमवार की सुबह उसके पति केदार ने ही अंतिम संस्कार किया। इस दौरान गांव के अलावा अन्य गांवों के लोगों की भीड़ जमा रही। जानकारी पर केदार के अन्य रिश्तेदार भी वहा शरीक होने पहुंचे थे।
सिरसाकलार थाना क्षेत्र के टिकरी गांव निवासी डरू नाई की पुत्री कुसुमा नाइन का जन्म 1964 में हुआ था। उसके पिता गांव के ग्राम प्रधान थे। जबकि चाचा गांव में सरकारी राशन के कोटे की दुकान चलाते थे। वह इकलौती संतान होने के चलते परिवार उसे बड़े लाड़ प्यार से पाल रहे थे। लेकिन जब वह 13 साल की हुई, तो उसे पड़ोसी माधव मल्लाह से प्रेम प्रसंग हो गया और वह उसके साथ चली गई।
घर आने से कर दिया था मना
दो साल बाद पिता उसे वहां से ले आए और उसकी शादी कुठौंद थाना क्षेत्र के कुरौली गांव निवासी केदार नाई से करा दी। करीब एक साल बाद माधव डकैत विक्रम मल्लाह के साथ कुरौली पहुंचा और कुसुमा को अगवाकर ले गया था। इसके बाद केदार ने इसकी जानकारी अपने ससुर डरू को दी। जब पिता और पति कुसुमा से मिले, तो उसने घर आने से मना कर दिया।
तबीयत खराब होने पर लखनऊ में कराया भर्ती
इसके बाद कुसुमा ने केदार की करीब बीस साल बाद कुंती नामक युवती से शादी करा दी। उसके तीन बच्चे हैं। तभी से केदार व कुसुमा के बीच फिर से नजदीकियां बढ़ गईं थीं। वर्ष 2004 में जब कुसुमा ने दस्यु रामआसरे उर्फ फक्कड़ बाबा के साथ आत्मसमर्पण कर दिया, तो केदार व उनके परिजन जेल में उससे मिलने जाने लगे। इटावा जेल में बंद कुसुमा की तबीयत बिगड़ने पर उसे लखनऊ में भर्ती कराया गया।
पति ने कुसुमा का अंतिम संस्कार किया
यहां शनिवार को उसकी मौत हो गई। वहां पहले से मौजूद केदार का बड़ा बेटा शैलेंद्र रविवार रात शव लेकर गांव पहुंचा, तो भारी पुलिस बल व गांव के लोगों की भीड़ लग गई। लेकिन रात होने की वजह से अंतिम संस्कार नहीं किया गया। पूरी रात परिजन उसके शव के पास बैठे रहे। सुबह करीब साढ़े सात बजे उसके पति केदार ने कुसुमा का अंतिम संस्कार कर दिया। लोगों का कहना है कि जिस पति को उसने 47 साल पहले छोड़ा था। बाद में वही काम आया और उसने कुसुमा को मुखाग्नि दी।
मां की मौत से पहले नहीं मरना चाहती थी कुसुमा
बीहड़ में राज करने वाली दस्यु कुसुमा को अपनी मां से बहुत प्रेम था। मां के लिए अपशब्द बोलने पर कुसुमा ने उस डकैत लालाराम का साथ भी छोड़ दिया था। जिसकी अगुवाई में उसने अस्ता में नरसंहार को अंजाम दिया था। सरेंडर के दौरान उसने मां की मौत के बाद फांसी की सजा सुनाए जाने की गुहार लगाई थी। जालौन जिले के टिकरी निवासी कुसुमा नाइन व माधव मल्लाह का प्रेम उसके परिजनों को नागवार गुजरा था।
दस्यु लालाराम के गैंग का थाम लिया था दामन
दिल्ली जाने के दो साल बाद उसके पिता ने पुलिस की मदद से उसको पकड़वाकर घर बुलवा लिया था। इसके बाद उसकी कुरौली निवासी केदार नाई के साथ शादी कर दी। शादी के कुछ साल बाद ही माधव ने अपने रिश्तेदार दस्यु विक्रम मल्लाह की मदद से कुसुमा को अगवा करवा लिया था। यहीं से कुसुमा सामान्य महिला से दस्यु बन गई। आठ साल बाद विक्रम की मौत के बाद उसने दस्यु लालाराम के गैंग का दामन थाम लिया था।
कुसुमा की मां को अपशब्द बोले दिए थे
26 मई 1984 में उसने लालाराम व श्रीराम के साथ मिलकर बेहमई कांड में हुई 22 लोगों की निर्मम हत्या का बदला अस्ता में 14 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था (जैसा कि अस्ता में बने स्मारक में दर्ज है)। इसके कुछ समय बाद लालाराम ने कुसुमा की मां को अपशब्द बोले दिए थे। इससे आहत कुसुमा लालाराम के गैंग से किनारा कर फक्कड़ बाबा गैंग के गैंग का हिस्सा बन गई थी।
सबसे क्रूर डकैतों में होती थी गिनती
उसने कई अपहरण, हत्या, डकैती आदि घटनाओं को अंजाम देकर अपने नाम की दहशत बना दी थी। लोग कुसुमा की गिनती उस दौर की सबसे क्रूर डकैतों में करते थे। वर्ष 2004 में मध्य प्रदेश के भिंड जिले में उसने फक्कड़ महाराज व गैंग के अन्य सदस्यों के साथ सरेंडर कर दिया था। सरेंडर करने के दौरान उसने अपनी मां की मौत के बाद फांसी दिए जाने की गुहार लगाई थी।