गोरखपुर,संवाददाता : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के 42वें दीक्षांत समारोह में पांच गोल्ड मेडल हासिल करने वाली सर्मिष्ठा तिवारी ने कठिन परिस्थितियों में न सिर्फ अपनी पढ़ाई किया और अपने खर्च को वहन करने के लिए स्केचिंग भी की। बेटी की इस कामयाबी पर मां को गर्व है। सोमवार को कुलाधिपति के हाथों टॉपर बिटिया को मेडल पाते देख मां की आंखो में आंसू भर आये।
एलएलबी की टॉपर सर्मिष्ठा के बचपन में ही पिता राजेश तिवारी का निधन हो गया। जिसके बाद परिवार पर वज्रपात टूट पड़ा। जब वर्ष 2010 में पिता का साया सिर से हटा तो मां रीता परिवार की ढाल बनीं। पति के मौत का दर्द भुलाकर घर का जिम्मा उन्होंने उठाया। तब सर्मिष्ठा कक्षा छठवीं में थी। बड़ी बहन 11वीं और बड़े भाई 8वीं में पढ़ाई कर रहे थे।
गृहस्थी लड़खड़ाने लगी। मजबूरी में सर्मिष्ठा का प्रवेश एक साधारण स्कूल में कराया। पढ़ाई में बेटी को होनहार देख रिश्तेदारों ने मदद की। दो साल बाद सर्मिष्ठा का प्रवेश कांवेंट स्कूल में कराया गया। मां ने बेटी को बेहतर तालीम दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। एक दुकान से मिलने वाले किराए से परिवार का किसी प्रकार खर्च चलता रहा। सर्मिष्ठा ने गोविवि से बीकॉम करने के बाद एलएलबी में प्रवेश लिया और टॉपर बनीं।
स्केचिंग कर अपना खर्च निकालती है सर्मिष्ठा
सर्मिष्ठा न्यायिक सेवा में जाना चाहती हैं। वह अपना खर्च निकालने के लिए स्केचिंग शुरू की। स्कॉलरशिप से उनका शुल्क वापस हो जाता था, जबकि स्केचिंग से मिलने वाले पैसे अपनी पढ़ाई पर खर्च करती थीं। उन्होंने कहा कि नियमित क्लास और स्व अध्ययन से सफलता मिली। घर में माता रीता तिवारी का बहुत सपोर्ट मिलता है। मां की सहायता के चलते उन्हें पढ़ाई का पूरा मौका मिला है।