वाराणसी,संवाददाता : राजराजेश्वर के धाम से जब महाकाल की पालकी निकली तो भक्त भी भक्ति के भाव से सराबोर हो उठे। नाद ब्रह्म की चौखट का आशीष लेकर कीर्तन मंडली जब वाद्य यंत्रों की थाप पर झूमते हुए निकली तो हर कोई बस देखता ही रह गया। विश्वनाथ धाम से मां गंगा के तट तक ढोल नगाड़ों और झाल मजीरा की धुन पर हर-हर महादेव…, जय-जय महाकाल… का जयकारा लगाते हुए श्रद्धालुओं की टोली चल रही थी।
सोमवार की शाम को भोपाल से पहुंची बाबा बटेश्वर कीर्तन समिति ने भगवान महाकाल की पालकी यात्रा निकाली। वाद्य यंत्रों के साथ निकाली गई इस पालकी में हजारों भक्त शामिल हुए।इस दौरान विश्वनाथ धाम से लेकर मां गंगा के तट तक ढोल-नगाड़ों के साथ विभिन्न वाद्य यंत्रों की धुन पर श्रद्धालु थिरकते रहे।
मंदिर के बाहर दर्शन-पूजन करने आए श्रद्धालुओं का सिलसिला भी कुछ देर के लिए थम सा गया। नाचते-गाते हुए यात्रा गोदौलिया से दशाश्वमेध तक गई।
समिति से काशी आए युवा श्रद्धालुओं ने एक शृंगी, 15 शंख, 25 डमरू, 70 झाल-मजीरा, एक पुनेरी ढोल, एक नगाड़ा, एक थाल घंटा, चार छोटे घुंघरू की मदद से बेहद मनमोहक प्रस्तुति दी।