कानपुर,संवाददाता : कहा जा रहा है कि दबाव में सरेंडर करवाने को मजबूर होने की वजह से महाना गुट इसे अपनी हार मान रहे हैं। ऐसे में पार्टी में यह तनाव आगे और बढ़ने आशंका है। इससे पहले कई अवसरों पर महाना और पचौरी की ओर से जुबानी जंग होती रही है।
कानपुर में दवा व्यवसायी व भाजपा पार्षद पति के बीच हुए मारपीट प्रकरण में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना गुट और सांसद सत्यदेव पचौरी के आमने-सामने आने से भाजपा में राजनीतिक उठापटक तेज हो गई है। भाजपा पार्षद पति और उसके चार समर्थकों की ओर से इस प्रकरण में आत्मसमर्पण भले ही कर दिया हो, लेकिन शीतयुद्ध अब शुरू होने की बात कही जा रही है।
दरअसल इस आत्मसमर्पण से महाना गुट को भारी झटका लगा है। पता चला है कि महाना गुट के लोग कुछ ऐसे मामलों को सामने लाने की तैयार कर रहे हैं, जो पार्टी के नियमों के विरुद्ध हैं। लेकिन, ऐसे नियम विरुद्ध कामों में दूसरे गुट के कुछ नेता शामिल रहे हैं। जानकारी मिली है कि पिछले नगर निकाय और विधानसभा चुनावो में किस नेता ने पार्टी प्रत्याशियों खिलाफ किस तरह की भूमिका अदा की है।
इसका भंडाफोड़ करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए दोनों पक्षों की ओर से जोरशोर से तैयारी शुरू हो गई है। सोशल मीडिया का इसके लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। योजना है यह सब ऐसे किया जाए कि यह पता ही न चले कि कौन करा रहा है। लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर भी यह कहा जा रहा है, क्योंकि दोनों गुट लोकसभा की प्रबल दावेदारी में जुटे हैं।
इसे अपनी हार मान रहा है महाना गुट
बताया जा रहा है कि दबाव में सरेंडर करवाने को मजबूर होने की वजह से महाना गुट इसे अपनी हार मान रहे हैं। ऐसे में पार्टी में यह तनाव आगे और बढ़ने आशंका है। इससे पहले कई अवसरों पर महाना और पचौरी की ओर से जुबानी जंग होती रही है। बता दें कि शासन के हस्तक्षेप के बाद दवा व्यापारी से मारपीट के मामले में पार्षद पति अंकित शुक्ला ने अपने चार साथियों संग जेसीपी कार्यालय में आत्मसमर्पण कर दिया है।
दरअसल इस आत्मसमर्पण से महाना गुट को भारी झटका लगा है। पता चला है कि महाना गुट के लोग कुछ ऐसे मामलों को सामने लाने की तैयार कर रहे हैं, जो पार्टी के नियमों के विरुद्ध हैं। लेकिन, ऐसे नियम विरुद्ध कामों में दूसरे गुट के कुछ नेता शामिल रहे हैं। जानकारी मिली है कि पिछले नगर निकाय और विधानसभा चुनाव में किस नेता ने पार्टी प्रत्याशियों खिलाफ किस तरह की भूमिका निभाई है।
लोकसभा की प्रबल दावेदारी में जुटे हैं दोनों ग्रुप
इसका भंडाफोड़ करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए दोनों पक्षों की ओर से जोरशोर से तैयारी शुरू हो गई है। सोशल मीडिया का इसके लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। योजना है यह सब ऐसे किया जाए कि यह पता ही न चले कि कौन करा रहा है। लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर भी यह तानाबाना बुना जा रहा है, क्योंकि दोनों गुट लोकसभा की प्रबल दावेदारी में जुटे हैं।
कहा जा रहा है कि दबाव में सरेंडर करवाने को मजबूर होने की वजह से महाना गुट इसे अपनी हार मान रहे हैं। ऐसे में पार्टी में यह तनाव आगे और बढ़ने आशंका है। इससे पहले कई अवसरों पर महाना और पचौरी की ओर से जुबानी जंग होती रही है। बता दें कि शासन के हस्तक्षेप के बाद दवा व्यापारी से मारपीट के मामले में पार्षद पति अंकित शुक्ला ने अपने चार साथियों संग जेसीपी कार्यालय में आत्मसमर्पण कर दिया है।
दो दिन पहले महाना गुट के लोगों द्वारा पार्षद पति के पक्ष में कमिश्नर कार्यालय का घेराव करने और अगले ही दिन सांसद सत्यदेव पचौरी की ओर से पीड़ित अमोल भाटिया का पक्ष लेने से नगर भाजपा में दो फाड़ दिखने लगा । लोकसभा चुनाव के पहले पार्टी की ऐसी छवि बनना भाजपा हाईकमान और शासन को कतई गवारा नहीं था। ऐसे में मामले का तत्काल पटाक्षेप करवाना ही विकल्प बचा था।
पीड़ित अमोल दीप सिंह के परिवार से आज मिलेंगे सीएम योगी
पूरे मामले को लेकर सिख समुदाय में बढ़ती नाराजगी को ध्यान में रखते हुए सीएम योगी ने पीड़ित परिवार से भी मिलने का फैसला किया है। सीएम शनिवार को अमोल दीप सिंह भाटिया के माता-पिता से शाम पांच बजे अपने आवास पर मुलाकात करेंगे। शुक्रवार को दिन में सीएम कार्यालय से अमोल के परिजनों के पास फोन आया था।
अमोल की मां भूपिंदर कौर व पिता कमलजीत भाटिया को सीएम से मिलवाने की जिम्मेदारी भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के क्षेत्रीय अध्यक्ष अजीत सिंह छाबड़ा और गुरुद्वारा सरसैया घाट के प्रधान सेवक रमिंदर सिंह रिंकू को दी गई है। गौरतलब है कि आंदोलित सिख समुदाय के लोग शुक्रवार को बड़ी संख्या में मोतीझील में एकत्र हो रहे थे। लेकिन, पार्षद पति के सरेंडर करने की सूचना मिलने सिख समाज के लोग घर वापस चले गए।