इंदौर ,संवाददाता : इंदौर से मुबंई रुट पर जो ट्रेन जाती है। वह दाहोद, बड़ौदा होकर जाती है। इस कारण इंदौर से मुबंई की दूरी 840 किलोमीटर है लेकिन इंदौर मनमाड़ रेल परियोजना के बाद यह दूरी 568 किलोमीटर रह जाएगी। आठ घंटे में इंदौर से मुबंई पहुंचा जा सकेगा।
निमाड़ क्षेत्र के विकास में रफ्तार देने वाली इंदौर-मनमाड़ रेल परियोजना का काम जल्दी ही जमीन पर नजर आने लगेगा। इसके लिए रेल विभाग ने 267 करोड़ रुपये भूमि अधिग्रहण के लिए मंजूर किए है। इंदौर, महू के अलावा अन्य जिलों के किसानों को प्रोजेक्ट में ली जा रही जमीन के बदले मुआवजा दिया जाएगा।
सरकार ने भू अर्जन अधिकारी तीन माह पहले ही नियुक्त कर दिए थे। मध्य प्रदेश के इंदौर, धार, खरगोन और बड़वानी जिले में नई रेलवे लाइन बिछाई जाएगी। रेलवे स्टेशन भी बनेंगे। इस परियोजना में चारों जिलों के 77 गांवों की जमीन आ रही है। जिसे रेल विभाग को अधिग्रहित करना है। इसमें महू के 18 गांव भी शामिल है।
इंदौर से मुबंई की दूरी 568 किलोमीटर रह जाएगी
इंदौर से मुबंई रुट पर जो ट्रेन जाती है। वह दाहोद, बड़ौदा होकर जाती है। इस कारण इंदौर से मुबंई की दूरी 840 किलोमीटर है लेकिन इंदौर मनमाड़ रेल परियोजना के बाद यह दूरी 568 किलोमीटर रह जाएगी। आठ घंटे में इंदौर से मुबंई पहुंचा जा सकेगा। सबसे ज्यादा फायदा निमाड़ को होगा। निमाड़ का हिस्सा रेल परियोजना से जुड़ जाएगा। खरगोन, सेंधवा, बड़वानी जैसे जिले रेल संपर्क से जुड़ेंगे। इसके अलावा महाराष्ट्र के धुले शहर को भी इसका फायदा होगा। महाराष्ट्र वाले हिस्से में इस रेल परियोजना का काम तेजी से चल रहा है।
महाराष्ट्र चुनाव के पहले रेल मंत्रालय ने बचे काम के लिए राशि मंजूर की थी। इस परियोजना में विंध्याचल पर्वत माला के पहाड़ों के बीच से सुरंग भी बनाई जाएगी। 17 किलोमीटर की सात सुरंगे बनेगी। इसके अलावा चंबल, नर्मदा, देव और गोई नदी पर बड़े ब्रिज भी बनेंगे।
इस परियोजना के पूर्ण होने में पांच से आठ साल का समय लग सकता है। मध्य प्रदेश में सत्रह स्थानों पर स्टेशन बनाए जाएंगे,जबकि चार रेलवे गोदाम बनेंगे। इस परियोजना के कारण किसानों को काफी फायदा होंगे। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के किसान अपनी उपज को आसानी से भेज सकेंगे। अभी परिवहन लागत काफी लग जाती है।