बरेली, संवाददाता : आईएमसी (इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल) प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खां और वर्ष 2010 के बरेली दंगे के अन्य आरोपियों से जुड़े प्रकरण की सुनवाई अब बरेली जिला जज के कोर्ट में की जाएगी। इस प्रकरण के एक आरोपी शहजाद ने जिला जज की कोर्ट में अर्जी दाखिल किया था कि एडीजे फास्ट ट्रैक कोर्ट से उन्हें न्याय की उम्मीद नहीं है, उनके प्रकरण की सुनवाई किसी अन्य कोर्ट में ट्रांसफर कर दी जाए।
जिला जज कोर्ट में इस बात को लेकर पिछली तारीख में दोनों पक्षों की बहस हुई थी और निर्णय सुरक्षित कर लिया गया था। बृहस्पतिवार को जिला जज की कोर्ट ने फैसला सुनाया। अब आगे की सुनवाई जिला जज कोर्ट में होगी। मौलाना तौकीर रजा का पक्ष इस निर्णय को राहत की बात मानकर चल रहा है। फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज रवि कुमार दिवाकर की अदालत में पिछले दिनों मौलाना तौकीर रजा को लेकर कठोर टिप्पणी की गई थी और उन्हें दंगों का मास्टरमाइंड करार दिया गया था।
हाईकोर्ट से मिली फौरी राहत
कोर्ट में पेश होने के लिए समन जारी होने के बाद से मौलाना फरार हैं। पुलिस मौलाना को तलाश नहीं कर सकी, इस कारण समन भी तामील नहीं हो सका था। इसके बाद कोर्ट ने एसएसपी को 13 मार्च को आदेश दिया था कि मौलाना को गिरफ्तार कर 19 मार्च को कोर्ट में पेश किया जाए। पुलिस मौलाना को तलाश करती रही, लेकिन वह नहीं मिले। इस बीच मौलाना हाईकोर्ट की शरण में चले गए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वर्ष 2010 में बरेली दंगे में बतौर आरोपी जारी समन व गैर जमानती वारंट के खिलाफ मौलाना तौकीर रजा को फौरी राहत दी है। कोर्ट ने उन्हें 27 मार्च तक ट्रायल कोर्ट में समर्पण कर जमानत अर्जी दायर करने तक की छूट देते हुए वारंट के अमल पर रोक लगा दी है। जबकि , कोर्ट ने यह साफ किया है कि वह गैर जमानती वारंट पर हस्तक्षेप नहीं करेगी। केवल होली त्योहार की वजह से समर्पण करने का अवसर दिया है।
कोर्ट ने आदेश में ट्रायल कोर्ट जज द्वारा निजी अनुभव के आधार पर टिप्पणी करने की निंदा की है और आदेश के पेज छह के पैरा आठ को हटा दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद दिया। कोर्ट ने राज्य सरकार से दो हफ्ते में याचिका पर जवाब मांगा है और सुनवाई हेतु चार हफ्ते बाद पेश करने का निर्देश दिया है।