नई दिल्ली, एनएआई : कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह परिसर विवाद में मुस्लिम पक्षकारों को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 14 दिसंबर को दिए फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। बता दें कि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह परिसर का तीन अधिवक्ता आयुक्तों की टीम द्वारा सर्वे करने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से किया इनकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को शाही ईदगाह विवाद से जुड़े 18 मामलों में से 17 मामलों की सुनवाई की। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने मथुरा स्थित शाही ईदगाह परिसर का सर्वे करने का निर्देश दिया। यह सर्वे अधिवक्ता आयुक्तों की टीम करेगी। हालांकि सर्वे कब शुरू होगा, इसकी तारीख आनी अभी बाकी है। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। अब सुप्रीम कोर्ट 9 जनवरी को इस मामले पर सुनवाई करेगा।
18 दिसंबर को फिर सुनवाई करेगा हाईकोर्ट
श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह परिसर की 13.37 एकड़ जमीन को लेकर विवाद है। इस जमीन का कमिश्नर सर्वे वाराणसी की ज्ञानवापी परिसर की तरह होगा। अधिवक्ता आयुक्तों की टीम विवादित परिसर में जाकर सबूत जुटाएगी और कोर्ट को अपनी रिपोर्ट देगी। हाईकोर्ट 18 दिसंबर को इस मामले पर फिर सुनवाई करेगा, जिसमें सर्वे के तरीके, सर्वे करने वाली टीम के सदस्यों के नाम, सर्वे कब होगा और सर्वे की फोटो और वीडियोग्राफी कैसे होगी? इस पर निर्देश दिए जाएंगे।
हिंदू पक्ष के दावे की होगी जांच
हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद में मंदिर होने के प्रमाण मौजूद हैं। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष और वादी अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह का दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद की दीवारों पर कमल पुष्प, ओम और शेषनाग की आकृति मौजूद है और ये आकृतियां सनातन धर्म की प्रतीक हैं। यही वजह है कि हिंदू पक्ष ने हाईकोर्ट में मस्जिद परिसर का सर्वे कराने का निर्देश दिया है। वहीं मुस्लिम पक्ष का दावा है कि मस्जिद परिसर में ऐसे कोई चिन्ह या आकृति मौजूद नहीं हैं।
क्या है विवाद
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और शाही ईदगाह मस्जिद का यह पूरा विवाद 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक को लेकर है। इस जमीन के 11 एकड़ में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर है तो बाकी बचे 2.37 एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी है। हिंदू पक्ष का दावा है कि पूरी जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर की है और पूरी जमीन उन्हें देने की मांग कर रहा है। वहीं मुस्लिम पक्ष इस दावे से इनकार कर रहा है। जानकार दावा करते हैं कि इस विवाद का इतिहास 350 साल पुराना है। साल 1670 में जब दिल्ली में मुगल शासक औरंगजेब का शासन था, उसी दौरान ठाकुर केशव देव मंदिर को तोड़कर उसके ऊपर शाही ईदगाह मस्जिद बनवाई गई थी। मस्जिद के निर्माण में मंदिर के ही अवशेषों का इस्तेमाल किया गया था। यही वजह है मस्जिद में सनातन धर्म के प्रतीक होने का दावा किया जा रहा है।