वाराणसी, संवाददाता : बिहार के मुंगेर की रहने वाली सुनीता कुमारी भी पूर्वोत्तर रेलवे की लोको पायलट है। नवंबर 2016 में नियुक्ति के बाद से यात्री ट्रेनों को चला रही है। सुनीता बतातीं हैं कि पहले तो परिवार वालों ने मना किया कि लड़की होकर कैसे ट्रेन चलाओगी। हालांकि बाद में सभी को समझाने के बाद स्थिति सामान्य हो गई।
नारी शक्ति अब घर की दहलीज से लेकर रेलवे पटरियों तक का सफर तय कर रही हैं। पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी मंडल की तीन महिला लोको पायलट ट्रेनों को दौड़ा रहीं हैं। विषम परिस्थितियों और चुनौतियों का सामना करते हुए दिन हो चाहे रात, समर्पित भाव से ड्यूटी कर रही हैं।
वाराणसी मंडल की पहली महिला लोको पायलट हैं श्वेता
बिहार के सारण छपरा की रहने वाली लोको पायलट श्वेता यादव पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी मंडल की पहली महिला लोको पायलट हैं। जून 2014 में नियुक्ति के बाद से श्वेता यात्री ट्रेनों को पटरियों पर दौड़ा रही हैं। चुनौतियों का डटकर सामना किया और वर्तमान में उन्हें सर्वश्रेष्ठ महिला लोको पायलट के तौर पर जाना जाता है।
श्वेता बतातीं हैं कि पांच वर्षीय एक बेटी और दो माह के बेटे का ख्याल रखने से लेकर गृहस्थ जीवन को संभालना आसान नहीं है, लेकिन पति और परिवार के अन्य सदस्यों की सहायता से सबकुछ आसान होता गया। वर्तमान में सिगरा के छित्तूपुर निवासी श्वेता बतातीं हैं कि वह विभूति एक्सप्रेस के साथ ही अन्य कई ट्रेनें चला चुकी हैं।
मुसीबतो को धता बताकर सुनीता दौड़ा रहीं हैं ट्रेन
बिहार के मुंगेर की रहने वाली सुनीता कुमारी भी पूर्वोत्तर रेलवे की लोको पायलट है। नवंबर 2016 में नियुक्ति के बाद से यात्री ट्रेनों को चला रही है। सुनीता बतातीं हैं कि पहले तो परिवार वालों ने मना किया कि लड़की होकर कैसे ट्रेन चलाओगी। हालांकि बाद में सभी को समझाने के बाद स्थिति सामान्य हो गई। पहले प्रशिक्षण लिया और फिर बाद में रेलवे इंजन की कमान थमा दी गई।
शंटिंग करने के साथ ही ट्रेनों लेकर चलने लगी। मन में थोड़ा डर भी लगता था लेकिन विभाग का सहयोग मिलता गया। बैंककर्मी पति की सराहना और उत्साह ने मेरा काम और सरल बनाया। सिगरा के छित्तूपुर में सुनीता परिवार के साथ रहती हैं।
7 वर्ष से ट्रेन चला रही हैं प्रिया
पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी मंडल की महिला लोको पायलट प्रिया राय पिछले सात वर्षों से ट्रेन चला रही हैं। बलिया की रहने वाली प्रिया ने सितंबर 2017 में बतौर लोको पायलट नियुक्ति पाई और प्रशिक्षण के बाद रेलवे इंजन की कमान थामी। प्रिया बतातीं हैं कि पहले से कुछ तय नहीं था कि मुझे लोको पायलट बनना है। लोको पायलट पर चयनित हुई और रेल इंजन की कमान पहली बार थामी तो मन में बहुत घबराहट थी। मगर, विभाग के वरिष्ठ लोगों के सहयोग से सबकुछ आसान होता गया।
एक बच्ची की परवरिश और परिवार को संभालने के साथ ही ट्रेन चलाना आसान तो नहीं है लेकिन फिर भी सभी के सहयोग से काम आसान हुआ है। बैंक मैनेजर पति और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ ने हर मुश्किल को छोटा कर दिया है। सिगरा के छित्तूपुर में परिवार के साथ प्रिया रहती हैं। वर्तमान में वह विशेष प्रशिक्षण के लिए पीडीडीयूनगर में हैं