नई दिल्ली, न्यूज़ डेस्क : पड़ोसी देश नेपाल में जेन-जी आंदोलन के बाद स्थितियां निरंतर बदल रही हैं। शुक्रवार को नेपाल में इमरजेंसी लगा दी गई। इधर उत्तराखंड, उप्र, विहार और बंगाल में अशांत सीमांत भारतीय क्षेत्र में स्थिति सामान्य नजर आ रही है। नेपाली क्षेत्र में हालात सुधार देख लोगों ने घर से निकलकर आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी की। इस बीच स्थानीय पुलिस के साथ एसएसबी लगातार सीमा पर सतर्कता बरत रही है।
कड़ी सुरक्षा के बीच नेपाल सीमा से आवागमन शुरू हुआ
उत्तर प्रदेश के बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर और गोडा में कड़ी सुरक्षा के बीच नेपाल सीमा से आवागमन शुरू हो गया है। नेपाल आर्मी और सशस्त्र प्रहरी बल के जवानों ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। भारतीय सीमा पर स्थित इमीग्रेशन चेक पोस्ट पर खड़े सैकड़ों मालवाहक वाहनों को नेपाल जाने की अनुमति दी जा रही है।
लखीमपुर खीरी के गोरीफंटा बार्डर को खोला गया है, जहां सभी प्रकार के कामर्शियल मालवाहक वाहनों को नेपाल जाने की अनुमति दी गई है। सिद्धार्थनगर की बढ़नी सीमा से मालवाहक वाहनों को नेपाल में प्रवेश की छूट मिलने से स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली है। उधर, जेल से भागे कैदियों की घुसपैठ को रोकने के लिए सीमा पर निगरानी बढ़ा दी गई है।
भेजी गई, पैदल आने जाने की अनुमति
बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में भारत-नेपाल सीमा 137 किमी लंबी है, जहां सुरक्षा के लिए एसएसबी की तैनाती की गई है। सभी थाना और आउटपोस्ट में 300 अतिरिक्त जवानों को तैनात किया गया है। एसएसबी, जिला पुलिस और उत्पाद पुलिस मिलकर 24 घंटे गश्त कर रही हैं। सीतामढ़ी में 90 किमी की सीमा है। नेपाल में आंदोलन के पांचवें दिन, भारतीय इलाके से आवश्यक सामग्रियों की खेप नेपाल पहुंचने लगी है, जिससे यहां संकट कम होने लगा है।
राशन, रसोई गैस और दवा की खेप नेपाल में पहुंची है, लेकिन अन्य कंटेनरों की आवाजाही धीमी है। नेपाली सेना चौकसी कर रही है, जबकि रक्सौल में कंटेनरों की जांच की जा रही है। अररिया के जोगबनी बार्डर पर लोगों को पैदल आने जाने की अनुमति है, लेकिन वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित है, जिससे 300 से अधिक ट्रक सीमा के बाहर खड़े हैं।
बंगाल में पानीटंकी सीमा पर स्थिति सामान्य, सुरक्षा व्यवस्था की गई सख्त
नेपाल में अशांति के बीच बंगाल में दार्जिलिंग जिले के अधीन भारत-नेपाल सीमा पर धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो रही है। आवश्यक माल लदे जो ट्रक फंसे थे उनको नेपाल रवाना कर दिया गया है। भारतीय सीमा क्षेत्र से छोटे वाहन नेपाल जाने लगे हैं।
सीमा के उस पार फंसे भारतीय भी लौट रहे हैं। दो दिनों में 700 से अधिक भारतीय पानीटंकी सीमा से स्वदेश लौटे हैं। हालांकि नेपाली नागरिकों को भारत आने की अनुमति नहीं दी जा रही है। स्थिति सामान्य होने के बाद भी सुरक्षा में कोई कोताही नहीं बरती जा रही है। सिलीगुड़ी
भारतीयों को जाने की अनुमति नहीं
उत्तराखंड से सटे नेपाल के दार्चुला, बैतडी और आसपास के जिलों में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य नजर आ रही है। दार्चुला जिला प्रशासन ने शुक्रवार को कर्फ्यू में छूट दी, जिससे नेपाल से लोग उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से लगे झूला पुलों के माध्यम से यहां के बाजारों में पहुंचने लगे। हालांकि, भारत से नेपाल जाने की अनुमति अभी नहीं दी गई है।
चंपावत के बनबसा सड़क मार्ग पर लगातार तीसरे दिन आवाजाही बंद रही, लेकिन आपात स्थिति में वाहनों की अनुमति दी जा रही है। सीमाओं पर सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) और पुलिस की गश्त जारी है। एबुलेंस और बीमारों को लाने वाले वाहनों को भारत में प्रवेश की अनुमति है। ऊधम सिंह नगर जिले के खटीमा से लगे नेपाल के मेलाघाट और झनकइया क्षेत्रों में भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है।