Odisha Cabinet ने ‘बारापुत्र ऐतिहासिक ग्राम योजना’ को दी मंजूरी

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भुवनेश्वर, ब्यूरो : ओडिशा कैबिनेट ने बुधवार को कई अहम प्रस्तावों को मंजूरी दी, जिनमें ‘बारापुत्र ऐतिहासिक ग्राम योजना’ को लागू करने का निर्णय भी शामिल है। इस योजना का उद्देश्य राज्य के महान सपूतों को सम्मानित करना है, जिसके तहत उनके जन्मस्थलों को स्थानीय विरासत केंद्रों (लोकल हेरिटेज सेंटर्स) के रूप में विकसित किया जाएगा।

राज्य कैबिनेट ने सात विभागों से संबंधित 10 प्रस्तावों को दी मंजूरी

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी की अध्यक्षता में हुई बैठक में राज्य कैबिनेट ने सात विभागों से संबंधित 10 प्रस्तावों को मंजूरी दी। सरकार ने मूर्त और अमूर्त विरासत के संरक्षण, समुदाय-आधारित सांस्कृतिक संरक्षण को बढ़ावा देने और राज्य में स्थानीय विरासत परिसंपत्तियों के सृजन के उद्देश्य से ‘बारापुत्र ऐतिहासिक ग्राम योजना’ को एक संरचित और बजट-समर्थित पहल के रूप में लागू करने का निर्णय लिया है।

सरकार ‘बारापुत्रों’ के आवासीय घरों को विरासत संग्रहालयों के रूप में विकसित और संरक्षित करेगी। इसके साथ ही इंटरप्रिटेशन सेंटर, पुस्तकालय, सम्मेलन कक्ष, ओपन-एयर थिएटर, बच्चों के पार्क और अन्य सहायक बुनियादी ढांचे का विकास किया जाएगा। इसके अलावा, बारापुत्रों की स्मृति में मूर्तियां और स्मारक भी स्थापित किए जाएंगे।

हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों की बिक्री हेतु समर्पित आउटलेट स्थापित करने का भी प्रस्ताव

स्थानीय आजीविका को बढ़ावा देने के लिए सरकार स्थानीय रूप से प्रसिद्ध व्यंजनों, हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों की बिक्री हेतु समर्पित आउटलेट स्थापित करने का भी प्रस्ताव कर रही है। इसी तरह, बारापुत्रों के जीवन और योगदान पर आधारित सेमिनार, चर्चाएं, इंटरैक्टिव सत्र और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, ताकि उनके विचारों, सोच और मूल्यों का प्रचार-प्रसार किया जा सके।

योजना के पहले चरण में ओडिशा के 25 प्रतिष्ठित सपूतों की की गई पहचान

राज्य सरकार ने बताया कि योजना के पहले चरण में ओडिशा के 25 प्रतिष्ठित सपूतों की पहचान की गई है। इन विरासत स्थलों के विकास और संरक्षण के लिए वास्तविक आवश्यकताओं के आधार पर प्रति जन्मस्थान अधिकतम 15 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इस प्रकार, चरण-I के लिए कुल अनुमानित व्यय 345 करोड़ रुपए होगा।

एकीकृत दृष्टिकोण का उद्देश्य विरासत का संरक्षण

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इस एकीकृत दृष्टिकोण का उद्देश्य विरासत का संरक्षण, सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ावा देना और सतत स्थानीय विकास को प्रोत्साहित करना है। इसके अलावा, राज्य कैबिनेट ने ‘विकसित गांव, विकसित ओडिशा’ योजना के तहत एक नए ढांचे को भी मंजूरी दी, जिसका लक्ष्य परियोजना अनुमोदन में अधिक सहभागी और जमीनी स्तर का दृष्टिकोण अपनाना है।

आवश्यकता-आधारित परियोजना प्रस्ताव आमंत्रित

राज्य सरकार ने कहा, “संशोधित प्रक्रिया के तहत अब कलेक्टर कार्यालय, जिला परिषद, ब्लॉक और ग्राम पंचायतों के नोटिस बोर्डों तथा जिला वेब पोर्टल पर सूचना प्रकाशित कर पंचायती राज संस्थाओं के सदस्यों, निर्वाचित प्रतिनिधियों और नागरिक समाज के सदस्यों से आवश्यकता-आधारित परियोजना प्रस्ताव आमंत्रित किए जा सकेंगे।”

जिला-स्तरीय समिति प्रस्तावों की करेगी समीक्षा

जिला कलेक्टर की अध्यक्षता वाली जिला-स्तरीय समिति इन प्रस्तावों की समीक्षा करेगी और अंतिम परियोजनाओं की सूची संबंधित जिले के कलेक्टर द्वारा अनुमोदित की जाएगी। जवाबदेही को मजबूत करने के लिए 10 लाख रुपए से अधिक लागत वाली सभी परियोजनाओं के लिए कार्य पूर्ण होने की तिथि से तीन वर्षों का अनिवार्य डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड निर्धारित किया गया है।

राज्य कैबिनेट ने अन्य महत्वपूर्ण प्रस्तावों को भी दी मंजूरी

इस बीच, राज्य कैबिनेट ने अन्य महत्वपूर्ण प्रस्तावों को भी मंजूरी दी, जिनमें ‘उत्कर्ष आईटीआई योजना’ शामिल है, जिसके तहत पांच सरकारी आईटीआई को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में उन्नत किया जाएगा, और ‘स्मार्ट मीटर इंस्टॉलेशन फेज-I’ योजना, जिसका उद्देश्य राज्य में 100% स्मार्ट मीटरिंग को तेज़ी से लागू करना है।

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