नई दिल्ली, एजेंसी : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और भारतीय वायुसेना को निर्देश दिया कि वे आपरेशन बालाकोट और ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा रही महिला अधिकारी निकिता पांडे को सेवा से मुक्त नहीं करें, जिन्हें स्थायी कमीशन से वंचित किया गया था।
याचिका पर केंद्र और वायुसेना से जवाब मांगा
जज सूर्यकांत और एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने निकिता पांडे की याचिका पर केंद्र और वायुसेना से जवाब मांगा, जिसमें उन्होंने स्थायी कमीशन से वंचित किए जाने को भेदभाव कहा । पीठ ने सुनवाई को छह अगस्त के लिए निर्धारित किया।
हमारी वायुसेना दुनिया के सबसे बेहतरीन संगठनों में से एक
जज सूर्यकांत बोले , ”हमारी वायुसेना विश्व के सबसे बेहतरीन संगठनों में से एक है। अधिकारियों की प्रशंसा की जानी चाहिए। उनके समन्वय की गुणवत्ता अद्वितीय है। इसलिए हम हमेशा उन्हें सलाम करते हैं। वे राष्ट्र के लिए बड़ी संपत्ति हैं। उनके कारण हम रात में चैन से सो पाते हैं।”
पीठ ने यह भी नोट किया कि शार्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) अधिकारियों के लिए ”कठिन जीवन” उनके भर्ती के बाद शुरू होता है। इसके लिए 10 या 15 सालो के बाद स्थायी कमीशन देने के लिए कुछ प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है।
मुवक्किल एक विशेषज्ञ फाइटर कंट्रोलर हैं
महिला अधिकारी की ओर से पेश हुईं वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि उनकी मुवक्किल एक विशेषज्ञ फाइटर कंट्रोलर हैं, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन बालाकोट में एक विशेषज्ञ के रूप में भाग लिया।
निकिता पांडे ने 13.5 सालो से ज्यादा समय तक सेवा की
निकिता पांड़े ने 13.5 वर्षों से ज्यादा समय तक सेवा की है, लेकिन 2019 की नीति के चलते निकिता पांड़े को स्थायी कमीशन से वंचित किया गया और एक महीने बाद अपनी सेवा समाप्त करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
गुरुस्वामी बोले कि अधिकारी देश में विशेषज्ञ एयर फाइटर कंट्रोलर्स की मेरिट लिस्ट में दूसरे स्थान पर रहीं हैं। पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से पूछा कि अधिकारी को स्थायी कमीशन क्यों नहीं दिया गया। भाटी ने तर्क किया कि चयन बोर्ड ने उन्हें अयोग्य पाया।
सॉलिसिटर जनरल ने कही ये बात
भाटी ने कहा कि अधिकारी ने सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख किया बिना किसी प्रतिनिधित्व के और पीठ को सूचित किया कि एक दूसरा चयन बोर्ड उनके मामले पर विचार करेगा।