जोगिंद्रनगर,संवाददाता : हिमाचल में रुद्राक्ष की पैदावार कर किसान मालामाल हो सकेंगे। इसकी पौध आयुर्वेदिक अनुसंधान केंद्र जोगिंद्रनगर में करीब दस साल के अनुसंधान के बाद तैयार हो चुकी है। रुद्राक्ष के इस पौध को नर्सरी में विकसित करने के ट्रायल शुरू हो चुके हैं। ऐसे में जल्द ही किसानों को रुद्राक्ष के पौधे आयुर्वेदिक अनुसंधान केंद्र जोगिंद्रनगर के माध्यम से मिलेंगे।
प्रदेश के एकमात्र अनुसंधान केंद्र में इससे पहले औषधीय पौधों में शामिल अश्वगंधा, कपूर, तुलसी, ऐलोबेरा के पौधे भी किसानों को पैदावार के लिए उपलब्ध करवाए जा चुके हैं। अब हिमाचल में रुद्राक्ष की पैदावार को लेकर जोगिंद्रनगर आयुर्वेदिक अनुसंधान केंद्र की टीम ने बड़ी सफलता हासिल कर ली है। रुद्राक्ष की पौध तैयार हो चुकी है। इसकी नर्सरी विकसित होते ही पौधे तैयार होंगे। करीब दस साल के शोध के बाद रुद्राक्ष के फूल तैयार हुए हैं और अब इसकी नर्सरी भी तैयार जल्द होगी।
जोगिंद्रनगर में वर्ष 1958 में अपने अस्तित्व में आए आयुर्वेदिक अनुसंधान केंद्र में 1996 के बाद आयुर्वेदिक पौधों की रिसर्च, पैदावार और इसके संवर्धन का कार्य शुरू हुआ। इस समय 540 से अधिक विभिन्न प्रकार की प्रजातियों की औषधियां अनुसंधान केंद्र में मौजूद हैं। जिला शिमला के रोहडू, बिलासपुर व हमीरपुर में इसी अनुसंधान केंद्र के माध्यम से हर्बल गार्डन विकसित किए गए हैं। यहां पर औषधीय पौधों की पैदावार, रखरखाव व इसके संवर्धन का कार्य किया जाता है।
नमी और गर्म क्षेत्रों में रुद्राक्ष का पौधा आठ से दस साल में तैयार होगा। प्रदेश के हमीरपुर और मंडी जिला के जोगिंद्रनगर में रुद्राक्ष के पौधे जल्द तैयार होने की प्रबल संभावनाएं हैं।-डाॅ. उज्जवल शर्मा, प्रभारी आयुर्वेदिक अनुसंधान केंद्र जोगिंद्रनगर