नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क : साल 1988 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए परमाणु समझौते को लेकर भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने बड़ा दावा किया है। राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान हुए इस समझौते को लेकर उन्होंने कहा कि यह अमेरिका के दबाव में हुआ था।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक गोपनीय पत्र शेयर करते हुए भाजपा सांसद ने आरोप लगाया कि तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन द्वारा नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच बातचीत का एजेंडा तय किया था।
निशिकांत दुबे का पोस्ट
निशिकांत दुबे ने एक्स पर लिखा, “अमेरिकी दबाव में हमने तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल जिया से बात की थी। वार्ता का एजेंडा तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ने तय किया था।”
उन्होंने लिखा, “इस पत्र के बाद हम समझ गए कि पाकिस्तान और हमने 1988 में अमेरिकी दबाव में परमाणु समझौता किया था। कांग्रेस क्यों नाराज है? जब मैंने यह लेटर देखा तो मुझे शर्मिंदगी महसूस हुई।”
कौन-सा गोपनीय पत्र किया साझा ?
अपने एक्स पोस्ट में पत्र की एक प्रति शेयर करते हुए भाजपा सांसद ने कहा कि यह पत्र रीगन द्वारा राजीव गांधी को संबोधित किया गया था। दुबे ने कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार पर अपनी विदेश नीति के निर्णयों में अमेरिकी हितों के साथ तालमेल करने का भी आरोप लगाया।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने लिखा, “अफगानिस्तान समस्या पर हमने अपने मित्र सोवियत रूस से जो भी बात की, वह अमेरिकी एजेंडा था। क्या यह शिमला समझौता है? क्या आयरन लेडी गुलामी की मानसिकता है? क्या हम उस समय एक संप्रभु राष्ट्र थे?
जबकि 1988 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए समझौते को आधिकारिक तौर पर परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं के खिलाफ हमले के निषेध पर समझौते के रूप में जाना जाता है, इसपर 31 दिसंबर 1988 को साइन किया गया था और 27 जनवरी 1991 से यह लागू हुआ था।
इस समझौते के तहत भारत और पाकिस्तान को परमाणु सुविधाओं की सूची सालाना साझा करने और एक-दूसरे के परमाणु बुनियादी ढांचे पर हमला करने से परहेज करने के लिए बाध्य करता है।
निशिकांत दुबे ने राजीव गांधी के द्वारा रीगन को पाकिस्तान के साथ मध्यस्थता की मांग करते हुए कथित तौर पर लिखे गए एक पत्र का भी उल्लेख किया, जिसके संबंध में निशिकांत दुबे ने कहा कि यह कदम 1972 के शिमला समझौते का उल्लंघन है, जिसमें तीसरे पक्ष की मध्यस्थता पर रोक है।