न्यूयॉर्क, एजेंसी : भारत ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में पाकिस्तान को बार-बार गलती करने का आदी करार दिया है। पाकिस्तान ने इजरायल और फिलिस्तीन संघर्ष के बीच ही कश्मीर का मसला उठाया था। इस पर यूएन में भारतीय राजनयिक की तरफ से पाकिस्तान को आईना दिखाया गया है। भारत की तरफ से पाकिस्तान की टिप्पणी का जवाब देना भी वाजिब नहीं समझा गया। पाकिस्तान की तरफ से कहा गया था कि जिस तरह से इजरायल, फिलिस्तीन में लोगों की आजादी को दबा रहा है, ठीक उसी तरह से भारत भी कश्मीर में कश्मीरियों की आवाज सुनने से इनकार कर रहा है। इस पर ही भारत की तरफ से पाकिस्तान को करारा जवाब दिया गया है।
‘मेरे देश का अभिन्न अंग’
भारत के अधिकारी ने यूएनएससी में कहा कि भारत, इजरायल फिलिस्तीन मसले का शांतिपूर्ण और दीर्घकालिक समाधान चाहता है। इसके बाद उन्होंने कहा, ‘मैं खत्म करूं उससे पहले मैं उस टिप्पणी का जिक्र करना चाहता हूं जो एक प्रतिनिधिमंडल की तरफ से बिल्कुल किसी पुरानी आदत की तरह था। इसमें उन संघ शासित प्रदेशों का जिक्र था जो मेरे देश का आतंरिक और अभिन्न अंग हैं। मैं ऐसी टिप्पणियों को अवमानना का प्रयास मानता हूं और इन पर जवाब देकर इन्हें कोई सम्मान नहीं देना चाहता हूं।’ यूएन में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने तीन दिन पहले गाजा नरसंहार का जिक्र करते हुए कश्मीर के संबंध बयान दिया था।
क्या कहा था पाकिस्तान ने ?
मुनीर अकरम बोले थे कि सुरक्षा परिषद पर विश्व शांति को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी है। वह गाजा में नरसंहार को रोकने में असफल रहा है। यह ठीक ऐसे है जिस तरह से भारत के अवैध कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर में अत्याचार और नरसंहार को नहीं रोक पाया है। मुनीर अकरम के अनुसार कब्जे वाले फिलिस्तीन में इजरायल की तरह भारत के नौ लाख सैनिको ने कश्मीरियों की आजादी की लड़ाई को बेरहमी से कुचल दिया है। मुनीर अकरम के अनुसार कश्मीर के लिए आखिरी समाधान का अशुभ संकेत है।
एक माह पहले ही की थी बोलती बंद
एक माह पहले ही पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल-हक-काकर ने भी महासभा में कश्मीर का मुद्दा उठाया था। तब भी भारत ने पाकिस्तान पर कड़ा प्रहार किया था। भारत ने पाकिस्तान पर जोर दार हमला बोलते हुए कहा कि सबसे बड़ी संख्या में यह देश आतंकियों को पनाह गार है। अभी तक इस देश ने 26/11 के आतंकियों के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं किया है। बल्कि उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई हुई है। भारत की और से कहा गया था कि सबसे पहले सीमा पार आतंकवाद को रोकें और आतंकवाद के बुनियादी ढांचे को तुरंत बंद करें। दूसरा, जबरन और अवैध कब्जे वाले भारतीय क्षेत्रों को तुरंत खाली करें।