जौनपुर(खुटहन), आर.एन.दुबे : भीषण शीतलहरी और हाड़ कपा देने वाली ठंड से बचने के लिए ग्रामीणांचल में लोगो का एक ही सहारा है “अलाव” जो कि किसी भी सार्वजनिक स्थल पर चाहे वह चौराहा हो या सब्जी मंडी हो या अस्पताल नदारद नजर आया। किंतु राही और दुकानदार क्या करें उनकी तो रोजी रोटी का सवाल है घर तो छोड़ना ही पड़ेगा बाहर निकलना ही पड़ेगा चाहे पानी पड़े या पत्थर!
कोई टायर जला कर बैठा है तो कोई दफ्ती जलाकर बचने को कोशिश में लगा हुआ है लेकिन जिम्मेदारों के सिर में जूं नहीं रेंग रही है और उनको पड़ी ही क्या है? जनाब तो हीटर वाले जो ठहरे, दफ्तर में हीटर दफ्तर से बाहर निकले तो कार में हीटर कोई इस जानलेवा ठंड में कैसे जी रहा है उनको कैसे पता होगा? जहा मुख्यमंत्री जी का साफ निर्देश है कि सार्वजनिक स्थलों पर अलाव की व्यवस्था पर्याप्त मात्रा में सुनिश्चित की जाए किंतु मुख्यमंत्री के निर्देशों की धज्जियां जमकर उड़ाई जा रही हैं।