UP : सात दिसंबर को इंस्पेक्टर की हत्या के मुकदमे का फैसला

KANPUR-NEWS (18)

कानपुर, संवाददाता : कानपुर में ईओडब्ल्यू इंस्पेक्टर की हत्या के 27 साल पुराने मुकदमे में सुनवाई पूरी हो गई है। अपर जिला जज अष्टम राम अवतार प्रसाद सात दिसंबर को फैसला सुना सकते हैं। मुकदमे में फर्रुखाबाद के बसपा नेता अनुपम दुबे पर साथियों के साथ मिलकर ट्रेन में इंस्पेक्टर की हत्या करने का आरोप है। दो सह आरोपियों की मुकदमे की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है। सिर्फ अनुपम के खिलाफ ही सुनवाई चल रही थी। वह मैनपुरी जेल में बंद है।

14 मई 1996 को अनवरगंज स्टेशन पहुंची पैसेंजर ट्रेन के यात्रियों ने गार्ड आरके बाजपेई को ट्रेन में यात्री की हत्या की सूचना दी थी। वहीं, गार्ड की सूचना पर पहुंची अनवरगंज जीआरपी को मृतक की जेब से मिले सर्टिफिकेट से पता चला कि वे ईओडब्लू में तैनात इंस्पेक्टर मेरठ निवासी राम निवास यादव हैं। पुलिस की विवेचना में ज्ञात हुआ था कि फर्रुखाबाद में तैनाती के दौरान अनुपम दुबे के खिलाफ दर्ज एक मुकदमे की विवेचना कर रहे इंस्पेक्टर राम निवास यादव की स्थानांतरण के बाद ईओडब्ल्यू में नियुक्ति हुई थी।

1996 को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल

रामनिवास फर्रुखाबाद कोर्ट में बयान देकर ट्रेन से लौट रहे थे तभी उनकी हत्या कर दी गई। जीआरपी थाने में अनुपम दुबे के अलावा नेम कुमार उर्फ बिलइया और कौशल के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई थी। गिरफ्तारी न होने पर पुलिस ने तीनों को फरार घोषित कर 19 अगस्त 1996 को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। सीबीसीआईडी ने भी विवेचना कर रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की थी।

7 जुलाई 2021 को कुर्की के आदेश जारी हुए
मुकदमे की सुनवाई के दौरान नेम कुमार व कौशल की मौत हो गई। सालों से गैर हाजिर चल रहे अनुपम के खिलाफ सीएमएम कोर्ट ने सात जुलाई 2021 को कुर्की के आदेश जारी कर दिए थे। इसके बाद अनुपम ने फर्रुखाबाद में दर्ज एक दूसरे मुकदमे में समर्पण कर दिया था। उसे फतेहगढ़ जेल में रखा गया था। 19 जुलाई को कड़ी सुरक्षा में वह सी जे एम कोर्ट में तलब हुआ, जिसके बाद उसे इस मुकदमे में भी वारंट बनाकर न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया था।

22 गवाहों के दर्ज हुए हैं बयान
मुकदमे में अभियोजन की ओर से 18 गवाह पेश किए गए। जबकि कोर्ट विटनेस के रूप में भी चार गवाहों के बयान दर्ज हुए। बचाव पक्ष की ओर से कोई गवाह पेश नहीं किया गया। फाइल में एफएसएल की रिपोर्ट न होने से फैसला अटक गया था। पिछले दिनों थाने से रिपोर्ट कोर्ट भेज दी गई। दोनों पक्षों की अंतिम बहस के बाद कोर्ट ने फैसले के लिए सात दिसंबर की तारीख नियत कर दी है।

अनुपम दुबे के खिलाफ दर्ज़ हैं पचास मुकदमे

पुलिस रिकार्ड में दर्ज अनुपम दुबे के आपराधिक इतिहास में उस पर फतेहगढ़, विशुनगढ़,मोहम्मदाबाद, , फर्रुखाबाद, गुरसहायगंज ,बेवर मैनपुरी, कानपुर के स्वरूप नगर व जीआरपी में पचासो मुकदमे दर्ज हैं। जबकि आधे से ज्यादा मुकदमों में अनुपम बरी हो चुका है जबकि कई मुकदमों में तो अपराध का संज्ञान ही नहीं लिया गया। अनुपम दुबे को फतेहगढ़ कोतवाली का पुराना हिस्ट्रीशीटर कहा जाता है जबकि फर्रुखाबाद में उसका गैंग भी पंजीकृत है।

पिता की हत्या करवाने का था शक
एक गवाह ने बयान में कहा था कि अनुपम दुबे, उसके पिता महेश दुबे, नीलू वाजपेई, विनीत जीप से जा रहे थे तभी जावेद की पत्नी शबाना को टक्कर लगने से उसे चोटें आई थीं। मौके पर भीड़ ने घेर लिया तो महेश दुबे ने फायर कर दिया, जिससे भीड़ और उत्तेजित हो गई और महेश दुबे की हत्या कर दी थी। अनुपम को भी चोटें आई थीं। मौके पर इंस्पेक्टर रामनिवास यादव भी फोर्स के साथ मौजूद थे इसलिए अनुपम को शक था कि इंस्पेक्टर ने ही उसके पिता महेश की हत्या करवाई है।

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