ऊधम सिंह नगर, संवाददाता : देशभर के विभिन्न राज्यों में लोगों को सम्मोहित कर ठगने के बाद बदमाश अपने ठंडानाला स्थित घरों में आकर मौज करते हैं। कई दशक पहले जलाशय में मिट्टी ढोने के लिए चार परिवार आए थे, आज ठंडा नाला में 64 से अधिक परिवार बस चुके हैं।
देशभर के विभिन्न राज्यों में लोगों को सम्मोहित कर ठगने के बाद बदमाश अपने ठंडानाला स्थित घरों में आकर मौज करते हैं। कई दशक पहले जलाशय में मिट्टी ढोने के लिए चार परिवार आए थे, आज ठंडा नाला में 64 से अधिक परिवार बस चुके हैं। परंपरागत धंधे में मुनाफा नहीं होने पर नई पीढ़ी ठगी की विद्या में माहिर हो चुकी है। यही नहीं इन परिवारों ने सिंचाई विभाग की करीब पांच एकड़ जमीन पर कब्जा भी कर रखा है।
आबादी एक हजार तक पहुंच गई
जानकारी के अनुसार 60 के दशक में बौर और हरिपुरा जलाशय के निर्माण के समय चार कलंदर परिवार घोड़े खच्चर लेकर हरिपुरा जलाशय की तलहटी में आकर झोपड़ी बनाकर रहे थे। ये परिवार जलाशय निर्माण में खच्चरों से मिट्टी ढोते थे। इन लोगों ने काम अधिक होने पर अपनी बिरादरी के कुछ परिवार और बुलवा लिए। जलाशय निर्माण का काम खत्म होने पर ये परिवार सिंचाई विभाग की जमीन पर कब्जा कर यहीं बस गए। धीरे-धीरे परिवार बढ़े और इनकी आबादी एक हजार तक पहुंच गई। करीब पांच एकड़ सरकारी जमीन पर इनका कब्जा हो चुका है।
पुराने लोग बताते हैं कि शुरुआत में खच्चर प्रजनन कर मेलों में बेचना ही मुख्य व्यवसाय था। खच्चर घोड़ी खरीदने-बेचने के साथ नग भी बेचने का काम किया था। डेढ़ दशक पहले बिरादरी की नई पीढ़ी के कई युवा मेरठ में ठगी, बाइक चोरी और टप्पेबाजी करने वाले गैंग के संपर्क में आए। इन गैंग में यहां के रहने वाले परिवारों के कुछ रिश्तेदार भी शामिल थे। इसके बाद उन्होंने सम्मोहन के तरीके सीखे और जरायम की दुनिया में सिरमौर हो गए।
अब इनके कई गुट ठगी और लूट के अंतरराज्यीय गिरोह का रूप ले चुके हैं। गांव के कुछ भले परिवार इनके अपराधों का पुरजोर विरोध करते रहे हैं लेकिन गैंग के प्रभावशाली होने पर उनकी कोई सुनवाई नहीं होती है।