नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क : एक पंच वर्षीय कार्यकाल खत्म होने के बाद दूसरी बार पीएम की कुर्सी इस सरकार ने अपने लिए गए अहम फैसलों के कारण से मिला। भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनावो में जीत दर्ज कर लगातार दूसरी बार केंद्र की सत्ता पर कब्जा कर लिया । भाजपा पार्टी की यह जीत उसकी सरकारी योजनाओं और बड़े फैसलों की अहम भूमिका की कारण से हुई।
वहीं अब तीसरे कार्यकाल के लिए पार्टी तैयार है और इसके पहले 370 के ऊपर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरकार के पक्ष में यह दिखाती है कि आगामी चुनाव में भी पार्टी को इसका लाभ निश्चित रूप से मिलेगा । मोदी सरकार के कार्यकाल में लिए गए बड़े निर्णयों पर सुप्रीम कोर्ट का क्या पक्ष रहा और उन फैसलों के पीछे सरकार की क्या मंशा थी …
अनुच्छेद 370 कानून
अनुच्छेद 370 का इतिहास देश के बंटवारे से जुड़ा है। इस अनुच्छेद के प्रावधानों के अनुसार किसी भी प्रकरण से जुड़े कानून को राज्य में सीधे प्रभावी नहीं बना सकती थी। भारत की संसद को जम्मू-कश्मीर की सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य था। भारत सरकार इस कानून को खत्म करने की मांग कर रही थी। पांच अगस्त 2019 को केंद्र की बीजेपी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करते हुए इसे दो केंद्र शासित राज्यों में बांट दिया था।
कानून पर क्या रहा विवाद
सरकार के इस निर्णय को लेकर याचिकाकर्ता अदालत गए। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने को रद्द करने की मांग किया था । याचिकाकर्ताओं का कहना था कि 370 हटाना उस विलय पत्र के विरुद्ध था, जिसके द्वारा जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा बना। याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया था कि यह लोगों की इच्छा के खिलाफ लिया जाने वाला निर्णय है जो सिर्फ लोगों पर थोपा गया है।
उच्चतम न्यायालय ने क्या सुनाया निर्णय : सुप्रीम कोर्ट ने आज अनुच्छेद 370 की वैधता को बनाये रखा है और सर्वसम्मति से निर्णय सुनाया । कोर्ट ने कहा, जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा खत्म करने का राष्ट्रपति का आदेश वैध था। कोर्ट ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान है।