सूरत,रिपब्लिक समाचार,ब्यूरो : कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मोदी सरनेम प्रकरण में आज सूरत की सेशंस कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। मानहानि प्रकरण में मिली 2 वर्ष की सजा के खिलाफ राहुल गांधी ने रोक लगाने की मांग किया था , जिसे सेशंस कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट के अनुसार कि राहुल को संभलकर बोलना चाहिए की नसीहत भी दी , क्योंकि वह सांसद थे और देश की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
सजा कानूनी रूप से सही
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आरपी मोगेरा की अदालत ने 2019 के मानहानि प्रकरण में सजा पर रोक लगाने की मांग पर बोले कि अपीलकर्ता जैसे व्यक्ति से “नैतिकता के उच्च स्तर” की अपेक्षा की जाती है और ऐसे बयान की उम्मीद कभी नहीं की जाती है। कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने जो सजा राहुल को दी थी, वो कानूनन सही थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आरपी मोगेरा की अदालत ने अपने आदेश में कहा, “अपीलकर्ता के मुंह से निकले कोई भी अपमानजनक शब्द पीड़ित व्यक्ति को मानसिक पीड़ा देने के लिए पर्याप्त हैं।
अदालत ने कहा कि अपमानजनक शब्दों का उच्चारण करने और ‘मोदी’ उपनाम वाले व्यक्तियों की तुलना चोरों से करने से निश्चित रूप से मानसिक पीड़ा होगी और शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी की प्रतिष्ठा को नुकसान होगा।
सूरत पश्चिम से भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि के लिए शिकायत दर्ज कराई थी। जबकि राहुल गांधी ने 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली में कहा था कि “सभी चोरों का उपनाम मोदी कैसे होता है?”
कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष रह चुके हैं और अपीलकर्ता के ऐसे कद को देखते हुए, उसे अपने शब्दों के साथ अधिक सावधानी बरतनी चाहिए थी, जिसका व्यापक प्रभाव होगा।
अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता के वकील यह प्रदर्शित करने में विफल रहे कि उनकी सजा पर रोक न लगाकर उन्हें चुनाव लड़ने के अवसर से वंचित करने से उन्हें “बड़ी क्षति” होगी। कोर्ट ने राहुल गांधी के वकील के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि इस तरह एक समुदाय के खिलाफ मानहानि नहीं हो सकती।