नई दिल्ली, संवाददाता : राष्ट्रीय राजधानी के वायु प्रदूषण को उच्च स्तर पर ले जाने के लिए अक्सर पराली को खलनायक बताया जाता है, लेकिन पराली से 16 गुना अधिक जिम्मेदार एनसीआर में संचालित कोयला आधारित थर्मल प्लांट जिम्मेदार हैं।
एक समाचार रिपोर्ट के अनुसार आश्चर्यजनक रूप से एनसीआर के थर्मल प्लांट से प्रतिवर्ष 281 किलोटन सल्फर डाइआक्साइड (एसओ-2) उत्सर्जित होती है, जबकि 8.9 मिलियन टन पराली जलाने से 17.8 किलोटन सल्फर डाइआक्साइड उत्सर्जित होती है। इस रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सरकार से जवाब मांगा है।
जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा
एनजीटी चेयरमैन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य अरुण कुमार त्यागी व पर्यावरण विशेषज्ञ ए. सेंथिल वेल की पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीसीबी), हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसी ), पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी), वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।