शेख हसीना को सजा-ए-मौत के फैसले से चुनावों में खून खराबे की आशंका

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नई दिल्ली ,डिजिटल डेस्क : बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को ढाका स्थित अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण द्वारा मानवता के खिलाफ कथित अपराधों के लिए मौत की सजा सुनाए जाने के फैसले से राजनीतिक अस्थिरता एवं अनिश्चितता के साथ-साथ फरवरी में होने वाले संभावित चुनावों में भी बड़े पैमाने पर हिंसा की आशंका बढ़ गई है।

उनके समर्थकों ने धमकी दी है कि अगर उनकी अवामी लीग पार्टी, जो कभी देश की सबसे बड़ी पार्टी थी, चुनावों से प्रतिबंधित रहती है तो अशांति फैल जाएगी जिससे बांग्लादेश अपने सबसे बुरे दौर से बाहर नहीं निकल पाएगा। हसीना के अलावा पूर्व गृहमंत्री असद्दुजमां खान कमाल को भी मृत्युदंड दिया गया है।

एंटोनियो गुटेरस ने किया विरोध

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने 78 वर्षीय अपदस्थ पीएम की फांसी की सजा का विरोध किया है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सभी परिस्थितियों में मृत्युदंड के खिलाफ है। लेकिन, देश में पीड़ितों के परिवार चाहते हैं कि उन्हें तुरंत फांसी दी जाए।

हसीना पर पिछले वर्ष छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसात्मक दमन को लेकर मानवता के विरुद्ध कथित अपराधों के लिए न्यायाधिकरण में मुकदमा चलाया गया था। 2024 के विरोध प्रदर्शनों, जिनके बारे में संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि उनमें 1,400 लोग मारे गए, ने पहले ही देश की आर्थिक प्रगति पर ग्रहण लगा दिया है।

‘ऐसा टकराव होगा जो 17 करोड़ की आबादी वाले देश को हिला सकता है’

शेख हसीना पर फैसला आने से पहले ही ढाका में राजनीतिक हिंसा बढ़ गई थी। रविवार को कई देसी बम फटे और 12 नवंबर को 32 धमाके हुए। दर्जनों बसों में आग लगा दी गई। कथित तोड़फोड़ के आरोप में अवामी लीग के कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है।

हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने कहा कि अगर उनकी पार्टी पर से प्रतिबंध नहीं हटाया गया तो अवामी लीग के समर्थक राष्ट्रीय चुनाव रोक देंगे। बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध-प्रदर्शन होंगे..यह एक ऐसा टकराव होगा जो 17 करोड़ की आबादी वाले देश को हिला सकता है। ग्लोबल ब्रांड्स को कपड़ों के निर्यात को रोक सकता है और 4.7 अरब डालर के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) बेलआउट पर निर्भर आर्थिकी को खतरे में डाल सकता है।

”मेरी मां देश में हमारी पार्टी के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं के संपर्क में हैं। मैं भी उनके संपर्क में हूं। देश में हमारे करोड़ों कार्यकर्ता और समर्थक हैं। वे बहुत गुस्से में हैं।”

बांग्लादेश के साथ भारत के संबंधों में कड़वाहट अभी भी है बरकरार

शेख हसीना के सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद से भारत के साथ बांग्लादेश के संबंधों में कड़वाहट अभी भी बरकरार है। बांग्लादेश ने भारत से पूर्व प्रधानमंत्री को सौंपने का आग्रह किया है। लेकिन, भारत ने दो टूक जवाब देते हुए कहा है कि वह बांग्लादेश के लोगों के हितों के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक पड़ोसी देश में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव नहीं होते हैं, वहां लोकतांत्रिक व्यवस्था एवं प्रशासन की उम्मीद करना बेमानी है।

उम्मीद जताई जा रही है कि आगामी आम चुनावों में अवामी लीग की कट्टर विरोधी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) सत्ता में वापस आएगी। दोनों पार्टियों ने पीढि़यों से बारी-बारी से शासन किया है।

बहरहाल, हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर दोनों देशों के बीच तल्खी अब खुलकर सतह पर आ गई है। अर्थशास्त्री एवं राजनीति विश्लेषक ज्योति रहमान ने कहा, ”दोनों देशों को सबसे अच्छे दोस्त होने की जरूरत नहीं है, लेकिन वे हमेशा एक-दूसरे से लड़ भी नहीं सकते..और जब तक हसीना भारत में रहेंगी, बांग्लादेश सरकार के लिए रिश्ते सामान्य करना मुश्किल होगा। भारतीय पक्ष भी यह मानता है। इस बाबत कुछ करने की आवश्यकता है।”

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