शिमला,संवाददाता : न्यायालय में सुनवाई के दौरान पाया गया कि पुराने अतिक्रमण मामले में कार्रवाई गलत तरीके से चल रही है, जिससे मामले के निस्तारण में अनावश्यक देरी हो रही है।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने न केवल वन भूमि अतिक्रमण पर बल्कि कानूनी प्रक्रियाओं में हो रही अनियमितताओं पर भी संज्ञान लिया है। न्यायालय में सुनवाई के दौरान पाया गया कि पुराने अतिक्रमण मामले में कार्रवाई गलत तरीके से चल रही है, जिससे मामले के निस्तारण में अनावश्यक देरी हो रही है।
न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ ने तहसीलदार भुंतर जिला कुल्लू को छठे प्रतिवादी के रूप में और सत्या देवी को सातवें प्रतिवादी के रूप में मामले में शामिल करने के आदेश दिए हैं। अदालत में इन सभी को नोटिस जारी किए गए। अदालत ने दो सप्ताह के भीतर प्रतिवादियों को हलफनामा दायर कर मामले से अदालत से संबंधित सभी तथ्यों और परिस्थितियों की जानकारी देने के निर्देश दिए हैं।
खंडपीठ ने संभागीय वन अधिकारी और तहसीलदार भुंतर को उनके अधिकार क्षेत्र में सरकारी वन भूमि से अतिक्रमण हटाने के न्यायालय में और अधिकारियों के पास लंबित सभी मामलों का विस्तृत विवरण भी प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी।
किराया वसूली अधिनियम के तहत बेदखली का आदेश जारी किया गया था
भुंतर में हाथिथान गांव के निवासी सत्या देवी के खिलाफ हिमाचल प्रदेश सार्वजनिक परिसर, भूमि बेदखली और किराया वसूली अधिनियम 1971 के तहत 11 जुलाई 2016 को बेदखली का आदेश जारी किया गया था। सत्या देवी ने इस आदेश को अपील के माध्यम से मंडल आयुक्त मंडी के समक्ष चुनौती दी। 19 अक्तूबर 2016 को मंडल आयुक्त ने बेदखली के आदेश को रद्द कर दिया और सहायक कलेक्टर प्रथम श्रेणी भुंतर को हिमाचल प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम 1954 की धारा 163 (3) के तहत मामले को सिविल कोर्ट में बदलकर फिर से निर्णय लेने का निर्देश दिया।
उच्च न्यायालय ने इस निर्देश को गलत ठहराया। न्यायालय ने कहा कि जब मामला सार्वजनिक परिसर अधिनियम के तहत शुरू किया गया था तो मंडल आयुक्त को इस भू राजस्व अधिनियम के तहत कार्रवाई में बदलने का कोई अधिकार नहीं था। कोर्ट ने पाया कि मंडल आयुक्त के गलत निर्देशों के कारण मामला 14 अगस्त 2025 तक तहसीलदार भुंतर के पास लंबित है। अदालत ने संज्ञान हाथिथान क्षेत्र की जन कल्याण समिति के अध्यक्ष की ओर से मुख्य न्यायाधीश को भेजे पत्र के आधार पर लिया। अदालत ने इस मामले में प्रदेश सरकार राजस्व, सचिव वन, सचिव प्रधान मुख्य वन संरक्षण, प्रभागीय वन अधिकारी भुंतर सहित सत्या देवी को प्रतिवादी बनाया है।
पॉक्सो मामले में आरोपी को हाईकोर्ट से मिली जमानत
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में आरोपी को जमानत दे दी है। न्यायालय ने पाया कि आरोपी 11 महीने से अधिक समय से जेल में है और मुकदमे की सुनवाई में देरी हो रही है, जो उसके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। न्यायालय ने पाया कि यद्यपि आरोप गंभीर है, लेकिन मुकदमे की सुनवाई में अनावश्यक देरी हो रही है।