लखनऊ, शिव सिंह : भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान (आईआईएसआर), लखनऊ एवं एईईटीडीएस, लखनऊ के संयुक्तवाधान में जलवायु अनुकूल नवोन्मेषी तकनीकों द्वारा विश्व खाद्य एवं पोषण सुरक्षा विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है।
जलवायु स्मार्ट कृषि के तीन मुख्य बिन्दु-
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा० बी०बी० सिंह, पूर्व कुलसचिव, आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, अयोध्या ने बताया कि जलवायु परिवर्तन एवं कृषि दोनों एक दूसरे पर आधारित हैं, जिसके कारण जलवायु परिवर्तन का सीधा असर कृषि उत्पादकता पर पड़ता है। उन्होंने बताया कि जलवायु स्मार्ट कृषि के तीन मुख्य बिन्दु हैं कृषि आधारित आय को बरकरार रखना, जलवायु परिवर्तन को अपनाना एवं ग्रीन हाऊस गैस के उत्सर्जन को कम करना।
अब जरूरत है कि हम इन बिंदुओं पर काम करें। सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि डा० टी० दामोदरन, निदेशक, भाकृअनुप- केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ ने बताया कि उच्च तापमान होने के कारण मृदा की लवणता बढ़ जाती है, साथ ही जलवायु परिवर्तन होने के कारण नए – नए कीट जो पहले नहीं हुआ करते थे, वह अब होने लगे है, जिसके कारण बागवानी फसलों का नुकसान होता है। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन से केवल नुकसान ही नहीं बल्कि कहीं कहीं लाभ भी होता है, जैसे पहले यहाँ पर आडू, नाशपाती एवं स्ट्रावेरी की खेती नहीं हुआ करती थी, अब इसकी खेती यहाँ पर की जा रही है।
भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के निदेशक डा०आर० विश्वनाथन ने बताया कि यह सम्मेलन जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए आयोजित किया जा रहा है। इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में किसानों के सामने जलवायु परिवर्तन से आने वाली समस्याओं और चुनौतियों एवं उसके समाधानों पर चर्चा कि जाएगी। साथ ही उन्होने यह उम्मीद जताई कि सम्मेलन के समापन के उपरांत यहाँ से निकलने वाली रूपरेखा द्वारा आने वाले समय में किसानों को लाभ मिलेगा। प्रो० एफ०ए० खान ने कहा कि अब जरूरत है कि जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों को होने वाले नुकसान से बचने पर शोध किया जाए ताकि किसानों की आय में वृद्धि हो।