जयपुर , संवाददाता : राजस्थान के अलवर में ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित एक हॉस्टल में मतांतरण का मामला सामने आया है। पुलिस की जांच में पता चला है कि यहां रहने वाले 60 अनूसूचित जाति और जनजाति सहित विभिन्न वर्गों के बच्चों के अभिभावकों को लालच देकर मतांतरण करवाया जा रहा था।
सारा खर्च ईसाई मिशनरी वहन करती थी
बच्चों का दिखावे के लिए सरकारी स्कूलों में भर्ती करवा कर हॉस्टल में रखा जाता था। उनका सारा खर्च ईसाई मिशनरी वहन करती थी लेकिन मुख्य उद्देश्य बच्चों और उनके अभिभावकों का मतांतरण करवाना था।
मतांतरण करवा चुके अभिभावकों को हर महीने धन दिया जाता था। जांच में पता चला है कि 15 साल से छोटे बच्चों के मूल नाम के स्थान पर जोसफ, जाय, योहना, मैथ्यू, जैकब, शॉन, थॉमस, वाशिंगटन और अन्य ईसाई नाम रखे गए थे। इस हास्टल में अधिकांश बच्चों का मतांतरण करवाया जा चुका है।
छोटे बच्चों के मतांतरण करवाया गया
अलवर के पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी ने बताया कि छोटे बच्चों के मतांतरण करवाने के मामले में प्रशिक्षण और फंडिंग की बात सामने आई है। हॉस्टल में पिछले 15 वर्षों से यह सिलसिला जारी था। यहां चेन्नई की एक संस्था द्वारा विशेष प्रशिक्षण दिया जाता रहा है।
ईसाई धर्म के दो प्रचारक बच्चों को बाइबल पढ़ने के लिए जोर देते थे। इस मामले में पुलिस ने दो आरोपितों सोहन सिंह और अमृत सिंह को गिरफ्तार किया है।
बता दें कि राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को मतांतरण विरोधी विधेयक पारित हुआ है। विधेयक में जबरन, लालच देकर और सामूहिक मतांतरण करवाने वाली संस्थाओं व आरोपितों के लिए उम्र कैद के साथ एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।