इंदौर, संवाददाता : इंदौर से करीब 70 किलोमीटर दूर जलूद में नगर निगम ने 60 मेगावाट क्षमता वाला सोलर पार्क तैयार कर लिया है। इस पार्क से उत्पन्न सौर ऊर्जा का उपयोग नर्मदा जल को इंदौर तक पहुंचाने में किया जाएगा। परियोजना से हर माह करीब 5 करोड़ रुपये की बिजली की बचत होगी। वर्तमान में नर्मदा जल को इंदौर लाने में लगभग 3 करोड़ यूनिट बिजली की जरूरत पड़ती है, जबकि नया सोलर पार्क रोजाना 60 लाख यूनिट बिजली पैदा करेगा।
निमाड़ क्षेत्र की 200 एकड़ भूमि पर स्थापित इस सोलर पार्क में नगर निगम ने सात अलग-अलग सेक्टर में सोलर पैनल लगाए हैं। अब बिजली को ग्रिड से जोड़ने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इसके लिए 132 केवी सब-स्टेशन भी जोड़े जा रहे हैं और रविवार को पावर ट्रांसमिशन लाइन के लिए शटडाउन लिया गया है। जल्द ही बिजली वितरण कंपनी से औपचारिक अनुमति प्राप्त कर उत्पादन को पूरी तरह शुरू किया जाएगा।
इस परियोजना के लिए नगर निगम ने राज्य सरकार से कोई वित्तीय सहायता नहीं ली
विशेष बात यह है कि इस परियोजना के लिए नगर निगम ने राज्य सरकार से कोई वित्तीय सहायता नहीं ली, बल्कि बांड जारी कर 300 करोड़ रुपये जुटाए। अनुमान है कि परियोजना की लागत 10 वर्षों में पूरी तरह वसूल हो जाएगी। फिलहाल निगम को हर माह 18 से 20 करोड़ रुपये तक बिजली बिल देना पड़ता है। नगर निगम का यह प्रयास एशिया के सबसे महंगे पेयजल प्रोजेक्टों में से एक – नर्मदा प्रोजेक्ट को सौर ऊर्जा से संचालित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
जलकार्य समिति प्रभारी अभिषेक शर्मा बबलू ने बताया कि “देश के किसी भी नगरीय निकाय ने अब तक इस तरह के ग्रीन प्रोजेक्ट पर काम नहीं किया है। इंदौर का यह मॉडल अब अन्य शहरों के लिए उदाहरण बनेगा और यह परियोजना नगर निगम को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगी।”
इंदौर के मेयर पुष्य मित्र भार्गव ने कहा, “हमारी परिषद ने पेयजल आपूर्ति के क्षेत्र में दो बड़े कार्य किए हैं, जिनका लाभ अगले 50 वर्षों तक शहरवासियों को मिलेगा। यह सोलर प्रोजेक्ट समय सीमा के भीतर पूरा हुआ है। इससे नगर निगम के बिजली खर्च में बड़ी कमी आएगी और बची हुई राशि को शहर के विकास कार्यों में उपयोग किया जाएगा। साथ ही, नर्मदा परियोजना के चौथे चरण के जल को लाने की मंजूरी भी मिल चुकी है और इसका कार्य जल्द शुरू होगा।”
