कुल्लू, संवाददाता : लंबे समय से उत्पादन का इंतजार कर रही 800 मेगावाट की पार्वती जल विद्युत परियोजना के इंजीनियरों ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। पिछले महीने छह मीटर चौड़ी और 32 किमी लंबी हेडरेस टनल के दोनों छोर मिल गए हैं। सुरंग की खुदाई टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) से की गई है। टीबीएम की खुदाई के बाद टनल के बचे हिस्से को मजदूरों से खोदा जाना था। इसमें भूगर्व में टनल के दोनों छोरों को एकदम सटीक मिलाए जाना कड़ी चुनौती थी।
कामगारों ने इस कारनामे को आसानी से कर लिया। इस काम से ऊर्जा विकास में भी एक नई युग की शुरूआत भी होने वाली है। भले ही इस लक्ष्य को भेदने में 24 वर्ष का लंबा समय लगा लेकिन बरशैणी की बर्फीली पहाड़ियों को खोदकर केंद्र सरकार के उपक्रम एनएचपीसी के इंजीनियरों ने दक्षता का लोहा मनवाया है। परियोजना प्रबंधन की मानें तो टीबीएम से सबसे लंबी टनल की खुदाई का यह विश्व कीर्तिमान स्थापित हुआ है।
एनएचपीसी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर विश्वजीत बसु कहा कि पार्वती जल विद्युत परियोजना (चरण-दो) एक रन-ऑफ-द-रिवर परियोजना है। यह पार्वती नदी के निचले हिस्सों में जल संभाव्यता के दोहन के लिए प्रस्तावित है। पार्वती नदी को पुलगा गांव के समीप कंक्रीट ग्रैविटी बांध से 32 किमी लंबी सुरंग के भीतर अपवर्तित किए जाने के बाद सिउंड के समीप पावर हाउस में गिराया जाना है। इस प्रकार पुलगा और सिउंड के मध्य 863 मीटर के सकल हेड का उपयोग 800 मेगावाट विद्युत के उत्पादन के लिए किया जाएगा। पार्वती नदी के अपवर्तित डिस्चार्ज में एचआरटी एलाइनमेंट के साथ मिलने वाले नालों के डिस्चार्ज को अपवर्तित करके और भी वृद्धि की गई है।
यह है परियोजना की विशेषताएं
एनएचपीसी के निदेशक निर्मल सिंह के मुताबिक इस परियोजना में एक सरफेस पावर हाउस जिसमें 200-200 मेगावाट की चार पेल्टन टरबाइन उत्पादन इकाइयां स्थापित की गई हैं। 400 केवी के दो आउटगोइंग फीडर के साथ 400 केवी जीआईएस सतह स्विच यार्ड है। वाणिज्यिक संचालन की तिथि दिसंबर 2024 मानकर चल रहे हैं।
इन संरचनाओं पर किया जा रहा काम
हेडरेस टनल के दोनों छोर मिलने के बाद बरशैणी में 83.7 मीटर ऊंचे कंक्रीट ग्रेविटी बांध को तैयार किया जा रहा है। 130 मीटर ऊंची, 17 मीटर चौड़ी औरिफिस प्रकार की सर्ज शॉफ्ट का काम भी अंतिम पड़ाव में है। 3.5 मीटर चौड़ी, 2121.5 मीटर (दाएं), 2149.5 मीटर (बाएं) लंबी दो प्रेशर शॉफ्ट भी बनाई गई हैं। 60 मीटर लंबा, साढ़े पांच मीटर चौड़ी चार टेलरेस टनलों को भी अंतिम स्वरूप दिया जा रहा है।