41 जिंदगियों को बचाने के लिए बचाव कार्य में लगी एजेंसियों ने अपनाया हर हथकंडा

TUNNEL-RESCUE

उत्तरकाशी, संवाददाता : सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में फंसी 41 जिंदगियों को बचाने के लिए बचाव कार्य में लगी एजेंसियों ने हर हथकंडा अपनाया। इन श्रमिकों तक पहुंचने के लिए एक साथ सात विकल्पों पर कार्य जारी था, जिससे किसी भी परिस्थिति में बचाव अभियान में कोई बढ़ा न आये।

हॉरिजांटल ड्रिलिंग

सुरंग के मुहाने की तरफ से की गई हारिजांटल ड्रिलिंग सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई। इस दिशा से स्टील पाइप डालकर निकास सुरंग बनाने के कार्य में तमाम उतार-चढ़ाव देखने को मिले, लेकिन अंत में इसी सुरंग से श्रमिक बाहर निकले। यहां से सुरंग में फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए लगभग 57 मीटर सुरंग तैयार करनी पड़ी, लेकिन 50वें मीटर पर ड्रिलिंग के दौरान औगर मशीन के क्षतिग्रस्त होने से अभियान को बड़ा धक्का लगा। ऐसे स्थित में रैट माइनर्स उम्मीद की किरण बने, जिन्होंने मोर्चे पर उतारे जाने के बाद मात्र 20 घंटे में ही लगभग 10 मीटर मलबे को भेदकर सुरंग तैयार में सफलता हासिल की। रैट माइनर्स मलबा हटाते रहे और औगर मशीन पाइप को धकेलती चली गई।

वर्टिकल ड्रिलिंग
इस पर एसजेवीएनएल ने रविवार को काम आरम्भ किया। इस रणनीति के तहत सुरंग के ऊपर से 1.2 व्यास का पाइप ड्रिल कर 88 मीटर नीचे श्रमिकों तक पहुंचना था। इसमें से मंगलवार सुबह तक 42 मीटर खोदाई एसजेवीएनएल ने करते ही बड़ी खुशखबरी आ गई।

बड़कोट छोर से सुरंग निर्माण
इस विकल्प पर भी बचाव एजेंसियां तेज गति से काम कर रही थीं। टीएचडीसी को बड़कोट छोर से 383 मीटर लंबी माइक्रो सुरंग बनाने की जिम्मेदारी सौपी गई थी, जिसमें 25 दिन लगने का अनुमान था। यहां से 12 मीटर सुरंग का निर्माण कर लिया गया था।

बड़कोट छोर से वर्टिकल ड्रिलिंग

इस विकल्प पर भी कार्य आरम्भ कर दिया गया था। इसके लिए बड़कोट छोर पर ड्रिलिंग करने का स्थान चिह्नित करने के बाद वहां तक मशीन पहुंचाने के लिए संपर्क मार्ग बनाने का कार्य किया जा रहा था। सुरंग के दायें छोर से 180 मीटर हारिजांटल ड्रिलिंग कर फंसे श्रमिकों तक पहुंचने की रणनीति भी तैयार हो गई थी। आरवीएनएल ने इस कार्य के लिए स्थान चिह्नित कर मशीन पहुंचा दी थी। सोमवार को कंक्रीट बेस तैयार होने के बाद 28 नवंबर से ड्रिलिंग शुरू करने की योजना थी। इसके लिए 15 दिन का समय भी तय कर लिया गया था।

ड्रिफ्ट टनल
इस रणनीति के अंतर्गत सुरंग के दायें छोर पर, जहां मलबा था, वहां से सेना की एक टीम नैनो जेसीबी से मलबे को हटाकर दो गुणा दो मीटर के फ्रेम लगाकर टनल बनाने में प्रयासरत थी। अभी तक 15 से अधिक कंक्रीट के फ्रेम का निर्माण हो चुका था। सुरंग के मुहाने के निकट पहाड़ी से एसजेवीएनएल द्वारा की जा रही वर्टिकल ड्रिलिंग के पास ही आरवीएनएल को लाइफ लाइन पाइप डालने के लिए ड्रिलिंग की जिम्मेदारी सौपी गई थी।

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