श्रीनगर, संवाददाता : कमलेश्वर महादेव मंदिर में घृत कमल अनुष्ठान का आयोजन हुआ। मंदिर के महंत ने दिगंबर लोट परिक्रमा भी किया। इस दौरान भगवान शिव को 56 भोग भी लगाया गया। पूजा-अर्चना के बाद शिवलिंग पर लेपित घी को प्रसाद के रूप में भक्तों में वितरित किया गया। अनुष्ठान में बड़ी संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित हुए।
बृहस्पतिवार रात करीब आठ बजे से भगवान शिव की विशेष पूजा शुरू हुई। लगभग ढाई घंटे चली पूजा के बाद शिवलिंग पर मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने 40 किलो घी का लेपन किया और कंबल से ढक दिया। बाद में महंत की पत्नी दीपिका पुरी की ओर से बनाए गए 56 भोग भगवान शिव को लगाए गए और आरती उतारी गई। रात लगभग 11 बजे महंत ने दिगंबर अवस्था में शरीर पर भस्म लगाकर मंदिर के चारों ओर लोट परिक्रमा कर जगत कल्याण की कामना किया।
परिक्रमा के बाद भंडारे का आयोजन हुआ। तड़के करीब चार बजे शिविलिंग से कंबल हटाकर घी का प्रसाद भक्तों में बांटा गया। अनुष्ठान में पंडित दुर्गा प्रसाद बमराड़ा, प्रकाश चंद, जगदीश मैठाणी, शैलेश रावत, मुकेश चमोली, गोवर्धन गिरी, दिनेश रुडेला, वासुदेव कंडारी, जितेंद्र आदि ने सहयोग किया।
यह है मान्यता
कमलेश्वर महादेव के महंत आशुतोष पुरी ने कहा कि मान्यता के अनुसार देवताओं ने घृत कमल पूजा भगवान शिव के दूसरे विवाह के लिए किया था। तारकासुर राक्षस ने भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया था कि उसकी मृत्यु शिव पुत्र के हाथों हो। तारकासुर जानता था कि भगवान शिव माता सती की मृत्यु के बाद दूसरा विवाह नहीं करेंगेे। ऐसे में उनके पुत्र के जन्म की कोई संभावना नहीं थी।
तारकासुर के अत्याचार से पीड़ित सभी देवता भगवती का आह्वान करते हैं और मां भगवती हिमालय पुत्री उमा (पार्वती) के रूप में जन्म लेती हैं। भगवान ब्रह्मा के कहने पर कमलेश्वर महादेव मंदिर में घृत कमल अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है और भगवान शिव शादी के लिए मान जाते हैं। भगवान शिव की शादी पार्वती से होती है और उनके पुत्र कार्तिकेय महाराज के हाथों तारकासुर राक्षस का वध होता है। देवताओं की इस पूजा को कालांतर में मंदिर के महंत माघ शुक्ल पक्ष की अचला सप्तमी के दिन जगत कल्याण के लिए करते हैं।