इंदौर, संवाददाता : सिंदूर लगाना एक हिंदू महिला का कर्तव्य है। यह दर्शाता है कि वह शादीशुदा है। इंदौर फैमिली कोर्ट Family Court के प्रधान न्यायाधीश एनपी सिंह ने एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्णय सुनाया। कोर्ट ने महिला को तत्काल प्रभाव से अपने पति के घर लौटने का निर्देश दिया। कोर्ट ने पत्नी का सिंदूर नहीं लगाना पति के लिए क्रूरता कहा है। याचिकाकर्ता के वकील शुभम शर्मा बोले कि उनके मुवक्किल की शादी 2017 में हुई थी और दंपति के 5 वर्ष का लड़का है।
कोर्ट ने पति के पक्ष में सुनाया निर्णय
फैमिली कोर्ट की तरफ से इस प्रकरण में पति के पक्ष में निर्णय सुनाया है। कोर्ट ने फैसले में पत्नी को आदेश दिया है कि पति के पास वापस लौटें। न्यायालय की ओर से कहा गया है कि पति ने पत्नी को नहीं छोड़ा जबकि वो अपने मर्जी से पति से अलग रहती थी। उसने सिंदूर लगाना भी बंद कर दिया था। इसके बाद कोर्ट में पति ने पत्नी को वापस लाने के लिए याचिका दायर की थी। पति के द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया था कि बिना किसी कारण से उसकी पत्नी विगत पांच वर्षो से उससे अलग रह रही है।
महिला ने लगाए दहेज के आरोप
हिंदू विवाह अधिनियम के तहत पति ने अपने अधिकारों की बहाली की मांग की थी। कोर्ट की तरफ से महिला से पूछा गया कि उसने सिंदूर क्यों नहीं लगाया तो महिला ने कहा कि अलग रहने की वजह से उसने सिंदूर लगाना छोड़ दिया। इसके साथ महिला ने अपने बचाव में पति पर दहेज के लिए शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न करने का आरोप लगाया। इस पर कोर्ट ने देखा कि महिला ने पुलिस को पति के खिलाफ कोई शिकायत नहीं दी है। दोनों पक्षों को सुनने और रिकॉर्ड पर मौजूद फ़ाइल को देखने के बाद न्यायालय ने महिला को पति के पास वापस लौटने का निर्णय दिया।