मेरठ, संवाददाता : नौचंदी थाने के हिस्ट्रीशीटर रफीक अंसारी 32 वर्ष पहले जब बवाल हुआ तब वे पार्षद थे। सपा के टिकट पर वे लगातार तीन बार पार्षद चुने गए। सपा के टिकट पर 2012 में मेरठ सीट से विधायक का चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा के लक्ष्मीकांत वाजपेयी के सामने चुनाव हार गए। चुनाव हारने के बाद भी रफीक को सपा सरकार में हथकरघा एवं पर्यटन विभाग में दर्जा प्राप्त मंत्री बना दिया गया।
2017 में रफीक अंसारी पहली बार बने विधायक
रफीक अंसारी ने 2017 में फिर से लक्ष्मीकांत वाजपेयी के सामने चुनाव लड़ा और बाजपेयी को हराकर पहली बार विधायक बने। 2022 में कमल दत्त शर्मा को हराकर दुबारा विधायक बने। इस दौरान 101 गैर जमानती वारंट जारी हुए लेकिन रफीक अंसारी जमानती वारंट की अनदेखा करते रहे।
हापुड़ रोड पर 1992 में मीट की दुकानों को लेकर कुरैशी और अंसारी बिरादरी के लोगों में मारपीट हो गई थी। भीड़ ने दुकानों में तोड़फोड़ किया और आग लगायी थी। इस प्रकरण में लिसाड़ी गेट और नौचंदी थाने में आईपीसी की धारा 147, 427 और 436 के तहत दो मुकदमे दर्ज कर लिए गए थे।
पुलिस ने 40 लोगों को आरोपी बना दिया था। विवेचना में पुलिस ने मौजूद पार्षक रफीक अंसारी और हाजी बुंदू को भी आरोपी बना दिया था। पुलिस ने इस मामले में सन 1995 में 22 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिया था।
18 लोगों का नाम साक्ष्य नहीं होने के कारण मुकदमे से निकल गए थे। वर्ष 1997 में संबंधित अदालत ने आरोप पत्र पर संज्ञान लिया। रफीक अंसारी के कोर्ट में पेश नहीं होने पर 12 दिसंबर 1997 को उनके गैर जमानती वारंट जारी हो गए थे। इसके बाद रफीक अंसारी पर 101 गैर जमानती वारंट जारी हुए।
कुर्की प्रक्रिया के बावजूद भी रफीक कोर्ट में नहीं हुए पेश
सीआरपीसी की धारा 82 के अंतर्गत कुर्की प्रक्रिया के बावजूद भी रफीक कोर्ट में पेश नहीं हुए। वे हाईकोर्ट चले गए। उनके एडवोकेट ने पक्ष रखा कि 15 मई 1997 को फैसले में कोर्ट ने 22 आरोपियों को बरी कर दिया। ऐसे में उनके खिलाफ केस में कार्रवाई रद की जानी चाहिए। इसे कोर्ट ने नहीं माना।
उच्च न्यायालय के जज संजय कुमार सिंह ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी को निर्देश दिए कि रफीक अंसारी के खिलाफ ट्रायल कोर्ट द्वारा पहले जारी किए गए गैर-जमानती वारंट की तामील सुनिश्चित करें। अगर वह अब तक तामील नहीं हुए हैं तो अगली तारीख पर अनुपालन हलफनामा दायर किया जाएगा। अनुपालन हलफनामा दाखिल करने के सीमित उद्देश्य के लिए मामले को 28 मई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश कोर्ट ने दिए।
एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने रफीक अंसारी की गिरफ्तारी के लिए सीओ सिविल लाइन अभिषेक तिवारी के निर्देशन में टीम गठित की। पुलिस ने विधायक के घर दबिश दी लेकिन वह वहां से निकल गए। कई दिन से पुलिस उनकी तलाश में थी।
उत्तर प्रदेश सरकार लिखी गाड़ी से लाये गए कचहरी
विधायक रफीक अंसारी को यूपी82-जेड-7833 क्रेटा कार से कचहरी लाया गया। गाड़ी पर उत्तर प्रदेश सरकार लिखा हुआ था।