महाकुम्भ नगर,संवाददाता : कुंभ में आज का सफर एक खोया पाया केंद्र पर लेकर गया। ऐसे 10 कंप्यूटराइज्ड खोया पाया केंद्र खोले गए हैं। मैं जानना चाह रहा था कि सुरक्षा के साथ ही क्या लोगों को खोजने के लिए भी AI तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। क्योंकि यह जानकारी तो थी कि सुरक्षा को लेकर 2750 AI आधारित सीसीटीवी कैमरों का प्रयोग किया जा रहा है। इस बारे में जानकारी होती उससे पहले हमने उस प्रक्रिया जाना कि अगर कोई खो जाता है तो उसे क्या करना होता है।
केंद्र पर जाने पर देखा तो काउंटर पर कैमरे लगे हैं और उसके सामने तीन से चार बड़ी स्क्रीन लगी हैं। जहां पर खोए हुए व्यक्ति ओर पाए हुए व्यक्ति की जानकारी दी जा रही है। फोटो के साथ जो जानकारी स्क्रीन पर आ रही है, उसमें नाम, आयु, पोशाक, पोशाक का रंग और अंतिम बार देखा गया कि जानकारी सामने आ रही थी।
खोया पाया केंद्र पर बनाई गई हैं डेस्क
खोया पाया केंद्र पर कुछ डेस्क बनाई गई हैं, एक जहां व्यक्ति अपने खोए हुए व्यक्ति से संबंधित जानकारी देता है। इसके बाद आती है, पुलिस डेस्क और उसके बाद आती है पुनर्मिलन डेस्क। जब कोई व्यक्ति को ढूंढने के लिए खोया पाया केंद्र से संपर्क करेंगा तो इसके बाद केंद्र द्वारा उस व्यक्ति की जानकारी कंप्यूटर में दर्ज की जाएगी। इसके बाद आपको एक रसीद दी जाएगी और फिर 55 इंच की बड़ी एलईडी पर गुम हुए व्यक्ति की जानकारी को दिखाया जाएगा। साथ ही गुम हुए व्यक्ति को ढूंढने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की भी मदद ली जाएगी।
अगर कोई महिला, बच्चा या पुरुष खो जाते हैं तो उनके ठहरने के लिए अंदर कमरे बनाए गए हैं। इसके साथ ही संबंधित थाना क्षेत्र को इस बात की जानकारी दे दी जाती है कि इस तरह व्यक्ति, बच्चा या महिला को खोया-पाया केंद्र में रखा गया है। कोई व्यक्ति अगर खोए हुए व्यक्ति की तलाश में आता है तो उसे भी बेसिक जानकारी देनी होती है और यह जानकारी संबंधित थाना क्षेत्र के साथ शेयर कर दी जाती है।
इसके बाद हमारा जाना होता है खोया पाया केंद्र के उस हिस्से में जहां पर ऐसे लोगों को ठहराया गया था। वहां मेरी मुलाकात किशन से होती है, एक बेहद छोटा मासूम सा बच्चा जिसने एक बड़ा सा कोट अपने ऊपर डाला हुआ है। वहां उपस्थित दो महिला सहयोगियों ने बताया कि ये कल ही यहां आया है। उसके माता-पिता को खोजने की कोशिश की जा रही है। मैंने जैसे ही उससे पूछा कि बेटा आपका नाम क्या है, तो बोला किशन।
खोया पाया केंद्र पर रुके है कुछ लोग
मैंने अगला सवाल किया कि बेटा कहां के रहने वाले हो और उसकी दोनों आंखों के निकले आसुंओं ने मुझे बहुत सारे उत्तर और प्रश्न एक साथ दे दिए। इसके बाद मेरी मुलाकात दो-तीन वृद्ध महिलाओं से हुई, कोई चार दिन से रुका हुआ है तो कोई तीन दिन से। एक महिला जो पश्चिम बंगाल से थी वो छह दिन से यहां रह रहीं थीं।
इन सबके बीच में एक बात तो कॉमन नजर आई वो थी बैचेनी। सरकार द्वारा AI टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल लोगों को मिलाने के लिए भी किया जाएगा ऐसा दावा किया गया था। लेकिन बात की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई कि इस माध्यम से कितने लोगों को मिलाया जा चुका है। किशन नाम के बच्चे से मिलने के बाद अब यही उम्मीद की जा रही है कि सरकार इस तकनीक के इस्तेमाल से उसे उसके परिजनों से मिलाने के लिए करें। क्योंकि अब AI और किशन के बीच बस एक चीज बची है, वो है इंतजार।