वाशिंगटन, एएफपी : अमेरिका के शुल्क पर चीन ने तगड़ा पलटवार किया है। चीन ने शुक्रवार को अमेरिका से आयातित सभी वस्तुओं पर 34 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगा दिया। ट्रंप ने बुधवार देर रात 60 से अधिक देशों पर पारस्परिक शुल्क लगाने की घोषणा की थी। वहीं, अब ट्रंप ने चीन को धमकी देते हुए कहा कि चीन ने टैरिफ लगाकर गलत किया है।
ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया कि चीन ने गलत खेल खेला है, वे घबरा गए हैं। हम इसको बर्दाश्त नहीं कर सकते। उन्होंने पोस्ट किया कि “मेरी नीतियां कभी नहीं बदलेंगी।” उन्होंने लिखा कि यह अमीर बनने का एक शानदार समय है, पहले से कहीं अधिक अमीर।
अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क 10 अप्रैल से प्रभावी होंगे
सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क 10 अप्रैल से प्रभावी होंगे। बी¨जग ने अमेरिकी रक्षा, कंप्यूटर और स्मार्टफोन उद्योगों को लक्ष्य करते हुए कुछ दुर्लभ खनिजों के निर्यात को नियंत्रित करने की घोषणा भी की है। अमेरिकी शुल्क को लेकर चीन ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में शिकायत दर्ज कराई है।
ट्रंप के टैरिफ से खलबली
वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि चीन ने 16 अमेरिकी कंपनियों को दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला भी किया है। बीजिंग के इस कदम की आलोचना करते हुए ट्रंप ने इंटरनेट मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ‘चीन ने गलत कदम उठाया है। वे घबरा गए हैं। मेरी नीतियां कभी नहीं बदलेंगी।’
इधर, दुनिया के अन्य देशों में भी ट्रंप के टैरिफ से खलबली है। ताइवान के राष्ट्रपति ने उन उद्योगों को सहायता प्रदान करने का वादा किया है, जो अमेरिकी शुल्क से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
ट्रंप प्रशासन के वार्ता की उम्मीद
वियतनाम ने कहा कि उसके उप प्रधानमंत्री व्यापार वार्ता के लिए अमेरिका का दौरा करेंगे। जबकि यूरोपीय यूनियन (ईयू) ने जवाबी कदम उठाने की बात कही है तो कुछ अन्य देशों ने कहा कि वे राहत पाने के लिए ट्रंप प्रशासन के वार्ता की उम्मीद कर रहे हैं।
समाचार एजेंसी रायटर के अनुसार, अमेरिका के शीर्ष कारोबारी साझेदार जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने कहा कि शुल्क से राष्ट्रीय संकट खड़ा हो गया है।
दुनिया के तमाम देशों के शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने कहा कि अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के चैंपियन के रूप में अपनी ऐतिहासिक भूमिका को त्याग दिया है। जबकि ट्रंप की ओर से शुल्क लगाए जाने के बाद यूरोपीय देशों समेत दुनिया के तमाम देशों के शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज की गई।