लखनऊ,रिपब्लिक समाचार,डॉ.जितेंद्र बाजपेयी : राजनीतिक पंडित जटाशंकर सिंह कहते हैं कि इस सूची में वैसे तो भाजपा ने हर तरह से सियासी समीकरण साधने की कोशिश की हैं, लेकिन सबसे ज्यादा संदेश देने वाला फेरबदल क्षेत्रीय टीम के मार्फ़त के द्वारा दिया गया है। उनका कहना है कि किसी भी क्षेत्रीय अध्यक्ष को अपने पुराने पद पर बहाल नहीं किया गया है…
नई लिस्ट दलित और पिछड़ी जातियो को ज्यादा जगह
भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश संगठन की नई लिस्ट से संगठनात्मक स्तर पर बदलाव के साथ कई संदेश भी छुपे हुए हैं। यह संदेश आने वाले लोकसभा चुनावों की तैयार होने वाली प्रत्याशियों की सूची को लेकर बहुत हद तक साफ नजर आ रहा है। संगठनात्मक स्तर पर जिस तरह से क्षेत्रीय अध्यक्षों के सभी नए नाम घोषित कर दिए गए हैं, उस आधार पर राजनीतिक पंडित अनुमान लगा रहे हैं कि लोकसभा के टिकटों में भी कई नए नाम दिखेंगे। जबकि कई पुराने सांसद या प्रत्याशी बहाल नहीं होंगे।
इसके अतिरिक्त 2024 के चुनावी माहौल को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी में प्रदेश पदाधिकारियों की नई सूची में सभी वर्गो को साधने की कोशिश भी की गई है, जिसमें दलित वर्ग और पिछड़ी जातियो को ज्यादा से ज्यादा जगह देकर भाजपा ने अपने मंसूबे साफ कर दिए हैं।
क्षेत्रीय अध्यक्ष को अपने पुराने पद पर बहाल नहीं किया गया है।
सियासी समीकरण साधने की कोशिश
लोकसभा 2024 के चुनावों को देखते हुए भाजपा ने प्रदेश पदाधिकारियों की नई सूची में जो बदलाव किए हैं, उससे सभी चुनाव समीकरण साधने की पूर्ण कोशिश की गई है। राजनीतिक विश्लेषक जटाशंकर सिंह कहते हैं कि इस सूची में वैसे तो भाजपा ने हर तरीके से सियासी समीकरण साधने की कोशिश की हैं, लेकिन सबसे ज्यादा संदेश देने वाला फेरबदल क्षेत्रीय टीम के मार्फत से दिया गया है। उनका कहना है कि किसी भी क्षेत्रीय अध्यक्ष को अपने पुराने पद पर बहाल नहीं किया गया है।
जटाशंकर सिंह का कहना है कि क्षेत्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारियों में किए गए महत्वपूर्ण बदलाव सामान्य बदलाव नहीं हैं। उनका कहना है कि यह स्पष्ट इशारा है कि आने वाले महीनो में होने वाले लोकसभा के चुनावों में बहुत से बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। राजनितिक गलियारों में अनुमान लगाया जा रहा है कि लिस्ट में कई ऐसे चेहरे होंगे जो वर्तमान सांसद तो है , लेकिन आगामी लोकसभा के चुनावों में उनको टिकट नहीं मिलेगा।