नई दिल्ली , डिजिटल डेस्क : बलूचिस्तान में पाकिस्तान सेना के अत्याचारों के खिलाफ आक्रोश इस कदर बढ़ गया है कि लोगों ने समूचे प्रांत में विरोध का बिगुल बजा दिया है। लोग हड़ताल कर रहे हैं और बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं।
प्रांत में पाकिस्तान सेना की मनमानी, सरकारी कब्जे, बलूचों पर बढ़ते अत्याचार, जनसंहार, गैरकानूनी हत्याओं, युवाओं को अगवा किए जाने के मामलों के बढ़ने से जनता में तनाव चरम पार कर चुका है और सब्र का बांध टूट चुका है।
प्रमुख बलूच मामवाधिकार कार्यकर्ता मीर यार बलूच ने सोमवार को बताया कि दो सितंबर को बलूचिस्तान नेशनल पार्टी (बीएनपी) की रैली पर आत्मघाती हमले के बाद लोग विद्रोह पर उतर आए हैं। इस हमले में 15 बलूच नागरिक मारे गए थे, जबकि 35 अन्य घायल हो गए थे।
‘पाकिस्तानी सेना बेबस’
उन्होंने बताया कि आतंकवादी संगठन आईएसआई के खिलाफ ये रैली आयोजित की गई थी। उन्होंने एक पोस्ट में लिखा कि कब्जा करने वाली पाकिस्तानी सेना जनता के प्रतिरोध के सामने शक्तिहीन दिखाई दे रही है। विरोध प्रदर्शनों के दौरान सड़कें और राजमार्ग जाम किए जा रहे हैं और दुकानें बंद कराई जा रही हैं। साथ ही रेल सेवाओं और हवाई अड्डों को भी ठप किया जा रहा है। प्रदर्शनों को खत्म कराने के लिए पाकिस्तानी सेना फायरिंग कर रही है और आंसू गैस के गोले छोड़ रही है।
तीन बलूच नागरिकों की हत्या
एक प्रमुख मानवाधिकार संगठन बलूच नेशनल मूवमेंट के मानवाधिकार विभाग, पांक ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तानी सेना समर्थित डेथ स्कवायड ने तीन बलूच नागरिकों की हत्या कर दी। शनिवार सुबह मांड क्षेत्र में मुल्ला बहराम बलूच और इजहार मुजीब की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जबकि जलाल बलूच को उसी शाम गोमाजी में गोली मार दी गई।
संगठन के मुताबिक पूरे बलूचिस्तान में छात्रों, कार्यकर्ताओं और राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाया जाना जारी है।