Adani Conclave : राम और कृष्ण ने बताया- समय बदला है आदर्श नहीं

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नई दिल्ली, न्यूज़ डेस्क : Adani Conclave : अदाणी कॉर्पोरेट हाउस में आयोजित ग्लोबल इंडोलॉजी कॉन्क्लेव में दुनिया भर से आए विद्वान इंडोलॉजी, भारतीय दर्शन और सांस्कृतिक अध्ययन पर अपने शोध और अनुभव साझा कर रहे हैं। कार्यक्रम का उद्देश्य वैश्विक अकादमिक जगत में भारतीय ज्ञान परंपरा को नई ऊर्जा देना है। राम की शांति और कृष्ण की बुद्धि ने अदाणी कॉन्क्लेव को खास बना दिया। अदाणी ने शिक्षा मंत्रालय के इंडियन नॉलेज सिस्टम के साथ मिलकर आयोजित तीन दिवसीय ग्लोबल इंडोलॉजी कॉन्क्लेव में भारतीय सभ्यता, भाषा, दर्शन और सांस्कृतिक विरासत पर केंद्रित खास चर्चा की। एक विशेष सत्र में टीवी धारावाहिकों में राम और कृष्ण की भूमिका निभाने वाले प्रमुख कलाकार अरुण गोविल और नीतीश भारद्धाज ने समकालीन जीवन में इन दोनों पात्रों की प्रासंगिकता पर विस्तार से विचार रखे।

गौतम अदाणी ने भारत नॉलेज ग्राफ निर्माण के लिए एक ऐतिहासिक प्रतिबद्धता की घोषणा की

अदाणी ग्लोबल इंडोलॉजी कॉन्क्लेव के समारोह में अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने भारत नॉलेज ग्राफ निर्माण के लिए एक ऐतिहासिक प्रतिबद्धता की घोषणा की, उन्होनें कहा, “एक शुरुआत के तौर पर मैं भारत नॉलेज ग्राफ के निर्माण और इस इंडोलॉजी मिशन में योगदान देने वाले विद्वानों और तकनीकी विशेषज्ञों के समर्थन के लिए 100 करोड़ रुपये के संस्थापक योगदान की घोषणा करते हुए विनम्र महसूस कर रहा हूँ। यह एक सभ्यतागत ऋण की अदायगी है।”

इस सत्र में भाग लेते हुए मेरठ से सांसद और रामायण में ‘राम’ की भूमिका निभा चुके अरुण गोविल ने कहा कि राम केवल एक धार्मिक पात्र नहीं बल्कि “मूर्तिमंत्र” हैं एक ऐसा आदर्श जो व्यक्ति और समाज दोनों को मार्ग दिखाता है। उन्होंने कहा कि रामायण केवल धर्मग्रंथ नहीं बल्कि पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों का विस्तृत तानाबाना है, जो हर युग में प्रासंगिक रहता है। गोविल ने बताया कि राम का जीवन इसलिए प्रेरक है क्योंकि उन्होंने पुत्रधर्म और राजधर्म दोनों को समान संतुलन के साथ निभाया। उनके अनुसार, राम नैतिकता, मानवीय मूल्यों और सकारात्मकता के प्रतीक हैं और उनकी जीवन यात्रा अपने-आप में एक शिक्षावली सूत्र है।

महाभारत में ‘कृष्ण’ का किरदार निभाने वाले नीतीश भारद्धाज ने कहा कि कृष्ण ने त्रेता युग में स्थापित राम के आदर्शों को द्वापर युग में आगे बढ़ाया और उन्हें व्यावहारिक धरातल पर लागू किया। उन्होंने कहा, “सनातन हिंदू सभ्यता को विकसित करना ही धर्म है। कृष्ण ने परिवार, समाज और राष्ट्र के हित में निर्णय लेकर धर्म के व्यावहारिक स्वरूप को स्थापित किया।” भारद्धाज ने स्पष्ट किया कि राम और कृष्ण का चरित्र केवल पौराणिक संदर्भों तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज और परिवार के कल्याण के लिए समयानुसार उचित निर्णय लेने की प्रेरणा देता है।

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