मुंबई, ब्यूरो : अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासियों की जांच भारत में एक संवेदनशील और चल रहा मुद्दा है। अलग-अलग राज्यों में इसे लेकर सरकारें कड़े कदम उठा रही हैं। इसी कड़ी में अब महाराष्ट्र का नाम चर्चा में आ गया है। दरअसल, महाराष्ट्र में अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों पर नकेल कसने के लिए फडणवीस सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार की ओर से जाली दस्तावेज के आधार पर बनाए गए फर्जी जन्म-मृत्यु सर्टीफिकेट को तत्काल रद्द करने के आदेश दिए गए हैं।
जांच में सामने आई थी सच्चाई
अभी कुछ समय पहले पुलिस ने महाराष्ट्र में सघन चेकिंग अभियान चलाया था। इसमें पता चला था कि, कुछ जिलों में गैरकानूनी रुप से रह रहे कई बांग्लादेशी नागरिकों ने स्थानीय नगरपालिका और ग्रामपंचायत से जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र बनाए हैं। अवैध तरीके से और नकली दस्तावेजों के आधार पर जन्म–मृत्यु प्रमाणपत्रों बनाने वाले रैकेट पर कठोर कार्रवाई करने के आदेश दिए गए। किरीट सोमैया ने महाराष्ट्र के कई महानगरपालिका द्वारा जारी किए गए ऐसे फर्जी सर्टीफिकेट रैकेट की शिकायत की थी। इस शिकायत की जांच में तथ्य पाए जाने के बाद सरकार ने यह बड़ा फैसला लिया।
महाराष्ट्र में अवैध घुसपैठियों की समस्या
बता दें कि, मुंबई और उसके आसपास के इलाकों में अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या शरणार्थियों की घुसपैठ एक गंभीर समस्या बन चुकी है। ये लोग मुख्य रूप से निर्माण स्थलों, झुग्गी-झोपड़ियों और अनौपचारिक क्षेत्रों में रहते हैं, जहां वे कम मजदूरी वाले काम करते हैं। यह समस्या न केवल स्थानीय रोजगार और संसाधनों पर बोझ डालती है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा करती है। हाल के वर्षों में केंद्र और राज्य सरकार की सख्ती से डिपोर्टेशन बढ़ा है और इस समस्या के समूल नाश के लिए तेजी से काम हो रहा है।
