लखनऊ,अमित चावला : रामकृष्ण मठ, निराला नगर, आध्यात्मिक शिविर (पूर्व में नामांकित भक्तों के लिए) का आयोजन किया गया, जिसमे लगभग 500 युवाओं व भक्तों ने भाग लिया। रामकृष्ण मठ में होने वाले इस आध्यात्मिक शिविर में लखनऊ एवं दूर-दराज से आये भक्तगणों एवं युवाओं ने भाग लिया। जिसकी शुरूआत मौन प्रार्थना, वैदिक मंत्रोच्चारण, पुष्पांजलि मठ के संन्यासी वृन्द द्वारा हुआ। निर्देशित ध्यान रामकृष्ण मठ, लखनऊ के अध्यक्ष, स्वामी मुक्तिनाथानन्द जी महाराज के नेतृत्व में सम्पन्न हुआ। तत्पश्चात सामूहिक रूप से श्री गुरू प्रार्थना रामकृष्ण मठ के स्वामी इष्टकृपानन्द के नेतृत्व में की गयी।
उद्बोधन गीत गायक अशोक मुखर्जी ने किया प्रस्तुत
तदोपरान्त मनन व भजन सत्र मठ के प्रेक्षागृह में आयोजित हुआ। उद्बोधन गीत कानपुर के जाने माने गायक अशोक मुखर्जी ने प्रस्तुत किया इस दौरान तबला पर संगत लखनऊ के शुभम राज ने दिया। उत्तर प्रदेश-उत्तराखण्ड रामकृष्ण विवेकानन्द भाव प्रचार परिषद के पूर्व संयोजक डा0 हीरा सिंह ने ‘श्री रामकृष्ण वचनामृत’ से पाठ किया। रामकृष्ण मिशन आश्रम, भोपाल के अध्यक्ष स्वामी नित्यज्ञानानन्दजी महाराज द्वारा ‘जगत् गुरू श्री रामकृष्ण’ पर प्रवचन दिया तथा उन्होंने बताया कि गुरू बिना ज्ञान असम्भव है। ‘श्री सारदा स्वतः’ भजन अशोक मुखर्जी ने प्रस्तुत किया तथा शुभम राज ने तबले पर संगत किया।
रामकृष्ण मठ एवं रामकृष्ण मिशन, भुवनेश्वर के अध्यक्ष स्वामी आत्मप्रभानन्द जी द्वारा ‘गुरूरूपे श्री माँ सारदा’ पर प्रचवन देते हुये कहा कि माँ सारदा सबकी जन्म-जन्मान्तर की माँ हैं एवं गुरू का रूप धारण करते हुये सबको भगवत प्राप्ति के लिए सर्वदा मार्गदर्शन प्रदान करती है तत्पश्चात ‘स्वामी विवेकानन्द स्तुति’ भजन अशोक मुखर्जी ने प्रस्तुति दी। रामकृष्ण मठ, लखनऊ के स्वामी रमाधीशानन्द ने ‘स्वामी विवेकानन्द रचनावली से पाठ’ किया।
इस अवसर पर रामकृष्ण मठ, लखनऊ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्दजी महाराज द्वारा ‘हमारे जीवन में मंत्र दीक्षा की प्रयोजनियता’ विषय पर प्रवचन दिया गया। उन्होंने बताया कि लम्बी प्रतीक्षा के बाद आगामी 21 जून 2023 को रामकृष्ण मठ एवं रामकृष्ण मिशन, बेलूड़ मठ के उपाध्यक्ष (वाईस प्रेसिडेन्ट) श्रीमत स्वामी सुहितानन्द जी महाराज लखनऊ में पधारेगें एवं चयनित भक्तों को 23 एवं 24 जून, 2023 को मंत्र दीक्षा प्रदान करेंगे।
मंत्र दीक्षा के बिना सांसारिक आवागमन से मनुष्य की मुक्ति नहीं
उन्होंने कहा कि उस मनुष्य का जीवन बेकार है जिसके जीवन में किन्हीं ब्रह्मनिष्ठ सद्गुरु की दीक्षा नहीं है। दीक्षारहित जीवन विधवा के श्रृंगार जैसा है । बाहर की शिक्षा तुम भले पाओ किंतु उस शिक्षा को वैदिक दीक्षा की लगाम देना जरूरी है । स्वामी जी ने बताया कि दीक्षाविहीन मनुष्य का जीवन तो बर्बाद होता ही है, उसके संपर्क में आने वालों का भी जीवन बर्बाद होने लगता है। उन्होंने कहा कि खाया-पिया, दुःखी-सुखी हुए और अमर तत्त्व को जाने बिना मर गये।
स्वामी जी ने बताया कि मंत्र दीक्षा के बिना सांसारिक आवागमन से मनुष्य की मुक्ति नहीं हो सकती है। यदि कोई अंधा व्यक्ति अकेला सड़क पर दौड़ रहा है तो वह दौड़ तो सकता है किंतु दुर्घटना का होना निश्चित है। गुरु के बिना इस संसार की असारता का रहस्य-विषयक ज्ञान नहीं हो सकता और ज्ञान के बिना जीव की मुक्ति नहीं हो सकती, जैसे दिशाविहीन नौका गहन समुद्र में कभी तट को प्राप्त नहीं कर सकती। धन, मान या पद से कोई गुरु से दीक्षा प्राप्त नहीं कर सकता।
‘श्री रामकृष्ण शरणम्’ भजन से कार्यक्रम का समापन
दीक्षा तो श्रद्धावान, सौम्य गुणवाले, विनीत शिष्य ही प्राप्त कर सकते हैं। धन का, सत्ता का अहंकार तथा काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि सब विकार श्रद्धारूपी रसायन में पिघल जाते हैं। यह श्रद्धारूपी रसायन चिंता, भय को अलविदा कर देता है और परमात्मा-रस से भर देता है। नश्वर शरीर से संबंधित अपनी हीनता भी याद नहीं रहती और अपना अहंकार भी याद नहीं रहता अपितु श्रद्धालु दीक्षा पाकर अपनी शाश्वतता की तरफ उन्मुख होने लगता है। इसलिए जीवन में मंत्र दीक्षा, श्रद्धा और सत्संग की अनिवार्य आवश्यकता है।
प्रवचनोपरान्त स्वामी मुक्तिनाथानन्द जी महाराज, स्वामी आत्मप्रभानन्द जी महाराज एव स्वामी नित्यज्ञानानन्द जी महाराज द्वारा आध्यात्मिक शिविर में भाग लेने आये भक्तगणों के जिज्ञासाओ को प्रश्नोत्तर परिचर्चा द्वारा उसका उत्तर दिया गया।
कार्यक्रम का समापन स्वामी इष्टकृपानन्दजी एवं श्री अशोक मुखर्जी द्वारा समूह में गाये भजन ‘श्री रामकृष्ण शरणम्’ द्वारा हुआ उस दौरान तबले पर संगत श्री शुभम राज किये तथा भजन के समापन के पश्चात उपस्थित सभी भक्तगणों के मध्य प्रसाद वितरण किया गया।
सम्पूर्ण कार्यक्रम के सूत्रधर गोल्डन फ्यूचर, लखनऊ के संस्थापक श्री शोभित नारायण द्वारा किया गया।