लखनऊ,अमित चावला : बलरामपुर के राजमन चौहान को कुछ महीनों से सांस लेने में गंभीर मुश्किल और सीने में तेज दर्द की शिकायत थी। उन्होंने जांच कराई तो पता चला कि उनके सीने के एरोटिक वॉल्व में दिक्कत हैं, जिसे बदलना ही एक मात्र रास्ता है, लेकिन अब तक भारत में इस गंभीर समस्या का इलाज भी पूरी तरह सफल नहीं होता, क्योंकि नेचुरल वॉल्व की जगह जिस कृत्रिम वॉल्व का इस्तेमाल किया जाता है, वह धातु की होती है और उसे बनाने में गाय या सुअर के हृदय के पेरीकार्डियम का इस्तेमाल होता है। साथ ही इस बेहद खर्चीले इलाज के बाद भी यह अधिकतम 3 से 10 साल तक हृदय को सही तरह से काम करने में मदद कर सकता है।
पहली बार हुआ “ओज़ाकी” तकनीक से हार्ट वॉल्व का ऑपरेशन
इन समस्याओं से निपटने के लिए लखनऊ के टेंडर पाॅम हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने कमर कसी। मरीज के साथ बातचीत के बाद विख्यात कार्डियो सर्जन डॉ. विजय अग्रवाल के नेतृत्व में एक विशेष ऑपरेशन का फैसला लिया गया, जिसे “ओज़ाकी” रिपेयर कहा जाता है। इसमें मरीज के हृदय के पेरीकार्डियम का ही इस्तेमाल करके नयी एरोटिक वॉल्व बनाई जाती है और उसे ख़राब पड़ चुकी एरोटिक वॉल्व बदला जा सकता है।
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और झारखण्ड में पहले कभी नहीं हुआ था यह ऑपरेशन
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और झारखण्ड में यह ऑपरेशन पहले कभी नहीं हुआ था। डॉ. विजय अग्रवाल के नेतृत्व में हुए इस ऑपेऱशन में डॉ. सुनील गुंडुमाला, डॉ. संजीव सिंह और डॉ. विष्णु की विशेषज्ञता का भी उपयोग किया गया। ओज़ाकी रिपेयर के बारे में डॉ. विजय अग्रवाल ने बताया कि ऐसा ऑपरेशन पहली बार सफलतापूर्वक किया गया है। उन्होंने कहा, ‘इस कृत्रिम वॉल्व को हम ‘हैंडमेड दर्जी’ वॉल्व भी कहते हैं, क्योकि इसमें मरीज के स्वस्थ वॉल्व का इस्तेमाल किया जाता है। यह तकनीकी रूप से बेहद जटिल ऑपरेशन होता है, क्योंकि नया वॉल्व बनाते समय इसके आकार का विशेष ध्यान देना होता है।’
डॉ. विजय अग्रवाल में 6 से 7 घंटे में हुआ सफल ऑपरेशन
उन्होंने बताया कि 6 से 7 घंटे तक चले इस ऑपरेशन के बाद मरीज पूरी तरह स्वस्थ है और उसकी उम्र भी बढ़ेगी, क्योकि इस कृत्रिम वॉल्व में उसी मरीज के वॉल्व का उपयोग किया गया है। डॉ. विजय अग्रवाल ने बताया कि देश में सिर्फ दिल्ली या दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में ही यह ऑपरेशन किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन आम ऑपरेशन के मुकाबले सस्ता भी पड़ता है और इससे मरीज की जीवन प्रत्याशा कम से कम 10 साल के लिए बढ़ जाती है।
वहीं, मरीज राजमन चौहान ने बताया कि उन्हें महज़ 6 दिनों में टेंडर पाॅम हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया। वे पहले से स्वस्थ महसूस कर रहे हैं। टेंडर पाॅम हॉस्पिटल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री विनय शर्मा में बताया कि टेंडर पाॅम हॉस्पिटल की टीम नित नए प्रयोग करते हुए कई तरह के विशिष्ट ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दे चुकी है। टेंडर पाॅम हॉस्पिटल में बच्चों और बुजुर्गों के लिए बेहतर हार्ट सर्जरी की सुविधा के साथ हमारा प्रयास रहता है कि मरीज पर आर्थिक बोझ कम से कम करते हुए उसे स्वस्थ जीवन दिया जाए।