गोरखपुर, संवाददाता : कुछ साल पहले डीएम दफ्तर के ही असलहा बाबू ने ही कुछ लोगों की मिलीभगत से असलहे का फर्जी लाइसेंस जारी कर दिया और 200 से ज्यादा लोगों ने 50 हजार से एक लाख रुपये खर्च कर लाइसेंस बनवाया था। अब लोग खुद ही तौबा कर रहे हैं।
करीब 16 हजार असलहे हो रहे कबाड़
करीब 16 हजार असलहे कबाड़ हो रहे हैं। चुनावों के समय पिछले आठ वर्षो में जिलों के थानों पर जमा किए गए दस हजार से ज्यादा असलहे कबाड़ में पड़े हैं। पुलिस ने भी उसे मालखाने में रखवा दिया है। दूसरे, दुकानों पर जमा किए गए 5700 के करीब असलहों को लेने वाले भी नहीं आ रहे हैं। क्योकि भौकाल दिखाने के लिए कभी असलहों का शौक पालने वाले जेल जाने के खौफ से अब डर रहे हैं।
लोगों पर असलहों का शौक इस कदर हावी था कि लाइसेंस पाने के लिए पैसा पानी की तरह बहाते थे। लेकिन अब नियम-कानून में सख्ती के कारण सूरत बदल गई है। एक तो रख-रखाव महंगा हो गया है तो दूसरी ओर हर्ष फायरिंग और असलहे के प्रदर्शन पर कई लोग जेल जा चुके हैं।
सख्ती का आलम यह है कि जिनके असलहे गन हाउस में जमा हैं, वे ले ही नहीं रहे हैं। यही नहीं, वरासत में मिले लाइसेंस को सरेंडर करने के लिए बहुत सारे लोगाें ने अर्जी दे रखी है। उनका कहना है कि असलहे शौक, अब…ना बाबा ना। कुछ वर्ष पहले तक असलहे के शौक के लिए भौकाली सब कुछ करने के लिए तैयार हो जाते थे। जिसके पास जितना असलहा, वह उतना ही बड़ा बाहुबली कहा जाता था।
पुलिस की सख्ती का असर
इसका परिणाम यह हुआ कि भौकाल जमाने के लिए कई लोगों के असलहे के साथ के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे। पुलिस ने इनमें से कई को जेल भेज दिया । इस तरह के मामलों में देखा गया कि ज्यादातर पुराने फोटो व वीडियो ही सामने आए, जिसे किसी विरोधी ने वायरल कर दिया था।
पुलिस व प्रशासन की सख्ती का आलम यह है कि अब लोग नया लाइसेंस बनवाना तो दूर की बात है, पुराने से छुटकारा पाने की जुगत में लगे हैं। गन हाउस पर असलहा जमा करने वाले 5700 से अधिक लोग अब असलहा वापस नहीं ले जा रहे हैं।