नई दिल्ली, एनएआई : चुनावी सीजन में सरकार महंगाई को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। अगले पांच साल तक 80 करोड़ गरीब जनता को मुफ्त में राशन देने की घोषणा के बाद सरकार अब आटा व दाल भी सस्ते दाम पर मुहैया कराने जा रही है। सोमवार से सरकार खुले बाजार की तुलना में सस्ते दाम पर भारत आटा बेचने की शुरुआत करने जा रही है। इसकी कीमत 27 रुपये प्रति किलोग्राम हो सकती है।
गेहूं की लगातार बढ़ती कीमत की वजह से फैसला
खुले बाजार में गैर-ब्रांडेड आटे की खुदरा कीमत 35-36 रुपये किलो है तो ब्रांडेड आटा 40-50 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिक रहा है। गेहूं की लगातार बढ़ती कीमत की वजह से त्योहारी सीजन में आटे के मूल्य में तेजी की आशंका को देखते हुए सरकार ने सस्ते दाम पर आटा बेचने का फैसला किया है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल सोमवार को भारत आटा बेचने की शुरुआत करेंगे।
महंगाई पर हर हाल में काबू करने का प्रयास
यह प्रयास अगले साल चुनाव तक जारी रह सकता है। सस्ते दाम पर भारत दाल की बिक्री केंद्रीय भंडार में पहले से की जा रही है। प्याज, दाल और आटे की बढ़ती कीमत खुदरा महंगाई को बढ़ा सकती है जिसे सरकार हर हाल में काबू में रखना चाहती है। महंगाई में बढ़ोतरी से चुनाव में विपक्षी दलों को सरकार के खिलाफ मुद्दा मिलेगा। वहीं, बढ़ती महंगाई विकास की रफ्तार भी कम कर सकती है। इसलिए सरकार अपने स्टाक से 2.5 लाख टन गेहूं केंद्रीय भंडार व को-आपरेटिव स्टोर को 21.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से दे रही है।
सरकार ने इस गेहूं से बनने वाले आटा पर अधिकतम पांच रुपये प्रति किलोग्राम का मुनाफा तय किया है। आमतौर पर मिल में गेहूं को आटे में बदलने की लागत 1.80-2 रुपये प्रति किलोग्राम होती है। एफसीआइ के बफर स्टाक में गत एक नवंबर को 218 लाख टन गेहूं था। इसलिए सरकार के पास गेहूं की कोई कमी नहीं है। भारत आटा को बाजार में उतारने से आटे की खुदरा कीमत में कमी आएगी। भारत आटा 10 व 30 किलो के पैक में उपलब्ध कराया जा सकता है।
प्याज, दाल और चीनी के दाम पर भी नजर
सरकार प्याज, दाल व चीनी की कीमतों पर भी नजर रख रही है। केंद्रीय भंडार व अन्य माध्यम से सरकार देशभर में 250 से अधिक जगहों पर 25 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्याज बेच रही है। खुले बाजार में प्याज की कीमत 80-90 रुपये प्रति किलोग्राम तक है।
हालांकि, दिवाली तक बाजार में राजस्थान व अन्य जगहों से प्याज की आवक बढ़ने से दाम में राहत मिलने की उम्मीद की जा रही है। गन्ने की फसल प्रभावित होने से इस बार चीनी के उत्पादन में कमी की आशंका है। इससे चीनी के दाम को मजबूती मिलने के आसार हैं। बोआई में कमी से दाल में पिछले दो महीनों से मजबूती का रुख है और भारी मात्रा में दाल का आयात किया जा रहा है।