नई दिल्ली,रिपब्लिक समाचार,विशेष : सूर्य ग्रहण 2023: आज वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण लगने गया है। हिंदू पंचांग के मुताबिक वैशाख माह की अमावस्या तिथि के दिन यह ग्रहण लग गया। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ग्रहण का विशेष महत्व होता है। ज्योतिष गणना के अनुसार वर्ष 2023 के इस सूर्य ग्रहण में सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में मौजूद रहेंगे। आइए जानते हैं वर्ष के पहले सूर्य ग्रहण की सारी जानकारिया ।
भारत में नहीं देगा दिखाई
गुरुवार, 20 अप्रैल 2023 वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण लग गया है। भारतीय समय के मुताबिक यह सूर्य ग्रहण सुबह 7 बजकर 4 मिनट से आरम्भ हो जाएगा जो दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर ख़त्म होगा । इस तरह सूर्य ग्रहण 5 घंटे 24 मिनट तक चलेगा ।
वर्ष 2023 के पहले सूर्य ग्रहण का नजारा भारत के लोग नहीं देख सकते हैं। यह सूर्य ग्रहण आस्ट्रेलिया समेत कई दूसरे देशों में देखा जा सकेगा। यह सूर्य ग्रहण थाईलैंड, चीन , , मलेशिया,अमेरिका , जापान,न्यूजीलैंड, हिंद महासागर और प्रशांत महासागर जैसी जगहों पर सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।
वर्ष 2023 का यह पहला सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देने के कारण इसका सूतककाल मान्य नहीं होगा। शास्त्रों के मुताबिक जहां-जहां पर ग्रहण दिखाई देता है वहां पर सूतक काल माना जाता है। इस कारण से भारत में सूतक काल प्रभावी नहीं माना जायेगा । सूर्य ग्रहण के दौरान सूतक काल ग्रहण के लगने के 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है लेकिन ग्रहण की समाप्ति तक बना रहता है। 20 अप्रैल के बाद वर्ष का दूसरा ग्रहण 14 अक्टूबर को होगा। इस ग्रहण को भी भारत में नहीं दिखाई देगा ।
क्या होता है सूतक काल ?
धार्मिक नजर से देखा जाये तो सूतककाल को शुभ नहीं मानते है। ऐसी मान्यता है कि सूतक काल के दौरान सूर्य और चंद्रमा पीड़ा मे होते हैं। ऐसे में इस दौरान किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। सूतक काल के समय मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। ग्रहण पर सूतक के दौरान भगवान की मूर्तियों को स्पर्श नहीं किया जाता है और न ही इनकी पूजा-पाठ की जाती है।
सूतक काल के दौरान मंदिरों के पर्दे और दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। सूर्य ग्रहण पड़ने से सूतक काल की शुरूआत से लेकर इसके अंत तक न तो घर में खाना बनाया जाता है और न ही खाना खाया जाता है। ग्रहण के दौरान मंत्रों का जाप करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ग्रहण की समाप्ति के बाद पूरे घर में गंगाजल से छिड़काव किया जाता हैऔर घर को शुद्धि किया जाता है ।
कंकणाकृति सूर्य ग्रहण
वर्ष 2023 का पहला ग्रहण बेहद ही खास रहने वाला है । 20 अप्रैल को लगने वाला यह ग्रहण कंकणाकृति सूर्य ग्रहण पड़ेगा । खगोल विज्ञान के अनुसार कंकणाकृति सूर्य ग्रहण एक तरह से ग्रहण होता है। जिसमें ग्रहण एक कुंडलाकार सूर्य ग्रहण के रूप से शुआत होती है फिर धीरे-धीरे यह पूरा सूर्य ग्रहण में बदल जाता है और फिर वापस आकर कुंडलाकार सूर्य ग्रहण में बदल जाता है।
इसके पहले इस तरह का कंकणाकृति सूर्य ग्रहण का नजारा साल 2013 में देखने को मिला था। इस तरह से यह सूर्य ग्रहण एक हाइब्रिड सूर्य ग्रहण दिखेगा । जिसमें यह आंशिक , कुंडलाकार और पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा। आपको बता दें कि आंशिक सूर्य ग्रहण तब होता है। वहीं कुंडलाकार सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा सूर्य के बीचों-बीच मे आ जाता है तब सूर्य कुछ देर के लिए एक चमकदार अंगूठी की तरह दिखाई देने लगता है। इस तरह के सूर्यग्रहण को कंकणाकृति सूर्य ग्रहण कहा जाता है