बीजिंग,एनएआई : चीन के मुताबिक अमेरिकी सैनिकों की वापसी के तत्काल बाद अफगानिस्तान में आतंकवाद निरंकुश ‘ हो गया है। चीन ने अफगानिस्तान के तालिबान प्रशाशन से कहा है कि वे पड़ोसी देश पाकिस्तान के लिए समस्या पैदा करने वाले आतंकवादी संघटनो पर लगाम लगाने के अपने वादे को पूरा करें। पाकिस्तान आतंकवादी समूह टीपीपी द्वारा लगातार आतंकवादी हमलों से संघर्ष कर रहा है, जिस पर पाक्स्तान का आरोप है कि आतंकवादियों के तार अफगान की धरती से जुड़े हुए हैं।
चीन द्वारा संपन्न विदेश मंत्रियों की यह चौथी बैठक
चीनी विदेश मंत्री किन गैंग ने गुरुवार को उज्बेकिस्तान के समरकंद में रूस, पाकिस्तान और ईरान के विदेश मंत्रियो की बैठक में भाग लिए गए अफगान पड़ोसी राज्यों के सम्मेलन की अध्यक्षता करने के बाद कहा कि आतंकवाद अफगानिस्तान में निरकुंश होता चला चला जा रहा है । अफगान आतंकवादी समूहों की संख्या अब 20 से अधिक हो गई है। चीन द्वारा संपन्न विदेश मंत्रियों की यह चौथी बैठक है, जिस में उइगर मुस्लिम बहुलता वाले शिनजियांग राज्य की सीमाएं अफगानिस्तान से जुड़ती हैं।
चीन तालिबान के अंतरिम प्रशासन का समर्थन करके अफगानिस्तान में अपनी बड़ी भूमिका निभाने का भी प्रयत्न कर रहा है, शिनजियांग राज्य में एक अलगाववादी उग्रवादी संगठन ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट पर नकेल कसने के लिए भड़का रहा है, जिसके प्रत्यक्षः रूप से अल-कायदा और इस्लामिक राज्य जैसे कट्टरपंथी संगठनों से सम्ब्नध हैं,लेकिन इस में भी महत्वपूर्ण बात यह है कि दशकों तक तालिबान की मदद करने वाले पाकिस्तान को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से सबसे बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है , क्योंकि न टीटीपी ने पाक्स्तान में कई आतंकवादी हमलों को अंजाम देकर देश में देश में भय का माहौल बना दिया है।
बैठक के अंत में जारी एक संयुक्त झांसा बयान में पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार ने भी बैठक में भाग लिया, जिसमें बताया गया है कि अफगानिस्तान मेंउपस्थित आतंकवादी ग्रुपो ने पड़ोसी देशों के लिए गंभीर समस्याएं खड़ी कर दी हैं। मंत्रियों ने अफगानिस्तान में आतंकवाद से संबंधित सुरक्षा स्थिति के बारे में अपनी गहरी चिंताओं पर जोर दिया और कहा कि सभी आतंकवादी समूह, या इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत अल-कायदा, पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट अफगानिस्तान में स्थित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए), जैश अल-अदल आदि क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बने हुए हैं।