नई दिल्ली,एनएआई : सुप्रीम कोर्ट बुधवार (23 अगस्त) को समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की उस याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है, जिसमें 2007 में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ कथित तौर पर नफरत फैलाने वाला भाषण देने और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने के मामले में आवाज का नमूना देने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दिया था।
आजम खान के स्पीच के साथ मैच करने के लिए वॉइस का नमूना मांगा गया था, जो कि 2007 में रामपुर के टांडा क्षेत्र में एक सार्वजनिक बैठक के दौरान बनाई गई एक सीडी में रिकॉर्ड कर लिया गया था।
हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती
जज ए एस बोपन्ना और जज एस वी एन भट्टी की पीठ ने आजम की ओर से पेश वरिष्ठ एडवोकट कपिल सिब्बल की उस दलील पर सुनवाई किया, जिसमें कपिल सिब्बल ने तत्काल सुनवाई की मांग की थी। आजम खान ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 25 जुलाई के आदेश को चुनौती दिया है, जिसने उनकी याचिका का निपटारा कर दिया और रामपुर में ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा।
टांडा पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई शिकायत
2007 में टांडा पुलिस स्टेशन में एससी/एसटी अधिनियम के तहत आजम खान के खिलाफ धीरज कुमार शील नामक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराइ थी, जिसमें आजम खान पर नफरत फैलाने वाला भाषण देने और कथित तौर पर बसपा सुप्रीमो और तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करने का आरोप लगाया गया था।
रामपुर में आजम के खिलाफ मामला दर्ज
रामपुर में भारतीय दंड संहिता की धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) और 171-जी (चुनाव के संबंध में गलत बयान) के तहत मामला दर्ज किया गया था। पुलिस ने आजम के खिलाफ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम भी लागू किया था।